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अथाऽस्मिन् भारते वर्षे विदेहेषु महर्द्धिषु । आसीत्कुण्डपुरं नाम्ना पुरं सुरपुरोत्तमम् ॥
-दामनन्दि (11 वीं शती ई) पुराणसारसंग्रह - 2, वर्ध. च. 4 / 1, पृ. 188.
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5.
'अथानन्तर - इसी भरत क्षेत्र में विदेह नाम का समृद्धि - शाली देश है, वहां
देवों के नगरों से भी बढ़कर कुण्डपुर नाम का नगर था । "
6. णिवसइ विदेहु णामेण देसु खयरामरेहिं सुहयर-पए । तहिं णिवस कुंडपुराहिहाणु पुरुधय-चय-झंपिवे - तिव्व भाणु ।।
अनेकान्त/55/2
- विबुध श्रीधर (12 वीं शती ई.) वड्ढमाण चरिउ, 9/1 पृ 198-99 " उसी भारतवर्ष में विद्याधरों और अमरों से सुशोभित प्रदेश-वाला विदेह नामक एक सुप्रसिद्ध देश है, जहाँ सुन्दर धार्मिक लोग रहते हैं। "
उसी विदेह देश में कुण्डपुर नामक एक नगर है, जिसने अपनी ध्वजा समूह से तीव्र भानु को ढक दिया था । "
7. चुत्वा विदेहनाथस्य सिद्धार्थस्याड् गजोऽजनि । सोऽत्र कुण्डपुरे शक्रः कृत्वाभिषवणादिकम् ||
- प. आशाधर (13 वीं शती ई), त्रिषष्टिस्मृतिशास्त्र, 24 / 24 पृ. 153.
" पुष्पोत्तर विमान (स्वर्ग) से च्युत होकर विदेह देश के राजा सिद्धार्थ व प्रियकारिणी के गर्भ से कुण्डपुर में महावीर नाम से जन्में । इन्द्र ने अभिषेकादि कार्य किये। "
8. अथेह भारते क्षेत्रे विदेहाभिध ऊर्जितः । देश: सद्धर्मसंघाद्यैः विदेह इव राजते । । इत्यादि वर्णनापेतदेशस्याभ्यन्तरे पुरम् । राजते कुण्डलाभिख्यं
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-सकलकीर्ति (15 वीं शती ई.), वर्धमान चरित, 7/2, 10.
" इसी भरतक्षेत्र में विदेह नामक शक्तिशाली देश है, जो सद्धर्म और सद्संघ आदि से विदेह की तरह शोभायमान है। इस प्रकार के वर्ण से युक्त देश में "कुण्डलपुर " नामक नगर है। "