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अनेकान्त/55/2
था। वहाँ पर राजाओं में वृषभ के समान उत्तम सिद्धार्थ नामक राजा राज्य करता था।" 16. सिद्धत्थरायपियकारिणीहिं णयरम्म कुंडले वीरो।
उत्तरफग्गुणिरिक्खे चित्तसियातेरसीए उप्पण्णो। ___-यतिवृषभ, (2 री शती ई.), तिलोयपण्णत्ति, 4/549. "भगवान महावीर कुण्डलपुर में पिता सिद्धार्थ और माता प्रियकारिणी से चैत्र शुक्ला त्रयोदशी के दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में उत्पन्न हुए। 17. अह चित्तसुद्धपक्खस्स तेरसीपुव्वरत्तकालम्मि।
हत्थुत्तराहिं जाओ कुंडग्गामे महावीरो।। आवश्यक नियुक्ति, गाथा-304. "चैत्रशुक्ल त्रयोदशी को रात्रि के पूर्वभाग में हस्त-उत्तरा नक्षत्र में कुंडग्राम में महावीर उत्पन्न हुए।" 18. अत्थि इह भरहवासे मज्झिमदेसस्स मण्डणं परमं।
सिरिकुण्डगामनयरं वसुमइरमणी तिलयभूयं।। नेमिचन्द्र सूरि, महावीर चरिय. "इस भारतवर्ष (भरतवर्ष-क्षेत्र) के मध्यम देश का परम आभूषण और पृथ्वी रूपी रमणी का तिलकभूत श्रीकुण्डग्राम नामक नगर है।" 19. कुण्डपुरपुर वरिस्सर सिद्धत्थक्खत्तियस्य णाहकुले।
तिसिलाए देवीए देवीसदसेवमाणाए।।2811 -वीरसेन (9 वीं ई.) षट्खंडागम (धबला) पु. 9, खण्ड-4, भाग-1 पृ. 122
वही, कसायपाहुड (जयधबला), भाग-1, पृ. 78, गाथा-23. "कुंडपुर (कुण्डलपुर) रूप उत्तमपुर के ईश्वर सिद्धार्थ क्षत्रिय के नाथ कुल में सैकड़ों देवियों से सेव्यमान त्रिशला देवी के----।" ___20. आसाढ़ जोण्हपक्खछट्ठीए कुंडलपुर णगराहित्व-णाहवंस-सिद्धत्थणरिंदस्स तिसिलादेवीए गब्भमागंतू ण तत्थ अट ठदिवसाहिय णवमासे अच्छिय-चइत्तसुक्क-पक्खेतेरसीए उत्तराफग्गुणीणक्खत्ते गब्भादो णिक्खंतो।
-वीरसेन, (9 वीं शती ई.) षट्खण्डागम (धबला), पु 9, ख.4, भाग-1, पृ. 121. ----- "कुंडपुर"------वड्ढमाणजिणिंदो--शेष वही।