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सम्पादकीय
दिगम्बर जैन शास्त्रों में वैशाली भगवान् महावीर की ननिहाल के रूप में वर्णित है। वैशाली के राजा चेटक महावीर की माता प्रियकारिणी (त्रिशला) के पिता थे। राजा चेटक के दस पुत्र और सात पुत्रियाँ थीं। इनमें से दो पुत्रियों ने विवाह न करके दीक्षा ग्रहण कर ली थी। (श्वेताम्बर परम्परा के अनुसार चेटक महावीर की माता के भाई माने गये हैं।) अतएव भगवान् महावीर से गहरा संबन्ध होने के कारण वैशाली में उनके प्रति अगाध आस्था का होना स्वाभाविक ही है।
जैन वाड्.मय में भगवान् महावीर का जन्मस्थान विदेह देश में कुण्डपुर या कुण्डलपुर के नाम से उल्लिखित हुआ है। आचार्य पूज्यपादकृत निर्वाण भक्ति, आचार्य जिनसेनकृत हरिवंशपुराण, आचार्य गुणभद्रकृत उत्तरपुराण, महाकवि असगकृत वर्द्धमानचरित, दामनन्दिकृत पुराणसारसंग्रह, विबुध श्रीधर कृत वड्ढमाणचरिउ, पं. आशाधरकृत त्रिषष्टिस्मृतिशास्त्र आदि ग्रन्थों में कुण्डपुर तथा भट्टारक सकलकीर्तिकृत वीरवर्धमान चरित, महाकवि पद्मकृत महावीररास तथा पश्चाद्वर्ती साहित्य में प्रायः कुण्डलपुर का भगवान् महावीर की जन्मभूमि के रूप में उल्लेख हुआ है। बिहार में नालन्दा जिला मुख्यालय से 3 कि. मी. दूर बड़गाँव नामक एक गाँव है, इस गाँव के बाहर एक प्राचीन जिनालय है, जो कुण्डलपुर नाम से प्रसिद्ध है तथा भगवान् महावीर की जन्मभूमि माना जाता रहा है। सुप्रसिद्ध जैन विद्वान् पं. बलभद्र जी ने 1975 ई. में प्रकाशित 'भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र' में इस कुण्डलपुर के विषय में लिखा है
"कुण्डलपुर बिहार प्रान्त के पटना जिले में स्थित है। यहाँ का पोस्ट आफिस नालन्दा है और निकट का रेलवे स्टेशन भी नालन्दा है। यहाँ भगवान महावीर के गर्भ, जन्म और तप कल्याणक हुए थे, इस प्रकार की मान्यता कई