Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टीका श० ५ उ०१ सू०३ ऋतुविशेषादिस्वरूपनिरूपणम् ६१ जम्बूद्वीपे द्वीपे ' दाहिणड़े ' दक्षिणार्धे मेरुपर्वतस्य दक्षिणदिग्भागे 'वासाणं' वर्षाणां चातुर्मास्यप्रमाणवर्षाकालस्य ' पढमे समए' प्रथमः समयः 'पडिवज्जइ' प्रतिपद्यते भवतीत्यर्थः, वर्षाकालारम्भो भवतीति यावत् ' तयाणं ' तदा खलु 'उत्तरड़े वि ' उत्तरार्धेऽपि 'वासाणं ' वर्षाणाम् 'पढमे समए' प्रथमः समयः 'पडिवज्जइ ' प्रतिपद्यते ? 'जयाणं' यदा खलु 'उत्तरड़े वि' उत्तरार्देऽपि 'वासाणं पढमे समए ' वर्षाणां प्रथमः समयः 'पडिवज्जइ' प्रतिपद्यते 'तयाणं' तदा खलु 'जंबूद्दीवे दीवे ' जम्बुद्वीपे द्वीपे 'मंदरस्स' मन्दरस्य 'पायस्स' पर्वतस्य 'पुरथिम-पच्चत्थिमेणं' पौरस्त्य-पश्चिमे पूर्व-पश्चिम दिग्भागे खलु अणंतरपुरक्खडे समयंसि' अनन्तरपुरस्कृतसमये न विद्यते अन्तरं व्यवधानं यत्र सः, एतादृशो यः पुरस्कृतः पुरोवर्ती समयः इति त्रयाणां कर्मधारयः तस्मिन् भंते!) इत्यादि । गौतम प्रभु से इस विषय में पूछते हैं कि-जब (जंबु हीवे दीवे ) जंबूदीप नामके द्वीप में (दाहिणड्डे) दक्षिणार्ध में-मेरु पर्वत के दक्षिणदिग्भागमें, (वासाणं) चातुर्मास्य प्रमाण वर्षा काल का (पढमे समए) प्रथम समय (पडिवजइ) होता है, अर्थात्-वर्षाकाल प्रारंभ होता है-(तया णं) तब (उत्तरड्डे वि ) उत्तरार्ध में भी-मेरु पर्वत के उत्तरदिग्भाग में भी (वासाणं) चातुर्मास्य प्रमाण वर्षाकाल का पढ़मे समए) प्रथम समय (पडिवज्जइ) होता है-अर्थात् वर्षाकाल प्रारंभ होता है। अतः जब उत्तरर्ध में भी वर्षाकाल प्ररंभ होता है, ता (जंबुद्दीवे दीवे) जंबूद्वीप नामके द्वीप में (मंदरस्स पव्वयस्स ) मन्दर पर्वत की (पुरस्थिमपञ्चस्थिमेणं) पूर्व पश्चिमदिशा में पूर्व पश्चिम दिग्भाग में (अणंतरपुरक्खडे सम यंसि) अनन्तर पुरस्कृत समय में जिसमें अन्तर नहीं है ऐसा जो पुरो. स्वामी महावीर प्रभुने पूछे छ8-( जयाणजबुद्दोवे दीवे ) महन्त! न्यारे
मद्वीप नामना द्वी५i ( दाहिणड्ढे) क्षिामा-भे२ पतन क्षण हिमामा (वासाण) या२मास प्रमाण वर्षाऋतुन। (पढमे समए ) प्रथम समय ( पडिवज्जइ) डाय छे, मेटले वर्षातुने प्रारम थाय छ, ( तयाण) त्यारे । उत्तरड्ढे वि) शु उत्तराधमा ५५ (भे२५ तना उत्त२ हGHTwi पा)(वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ) यार भासन प्रमाण वाजी वर्षातना પ્રથમ સમય હોય છે? એટલે કે વર્ષાઋતુને પ્રારંભ થાય છે ? અને જો ઉત્તરાર્ધમાં १र्षातुनी प्रा था यते(जबुद्दीवे दीवे) दीपनामनi द्वीपमा (मंदरस्स पव्वयस्स) मह२ ( भेरु) ५ तना (पुरथिमपच्छत्थिमेण ) पूर्व भने पश्यिम तिविनाम ( अणंतरपुरक्खडे समयंसि) अनन्त२ पु२२४ समये-मातर नयी मेरे पुरोवती समय छे, मे समये) मेले मे समये (पासाण)
श्री भगवती सूत्र : ४