Book Title: Acharang Sutram Part 01
Author(s): Jayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
Publisher: Rajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
View full book text
________________ श्री राजेन्द्र सुबोधना आहोरी - हिन्दी - टीका // 1-1-1-1 // 13 भावाचारका सार क्या है ? इन आठ द्वारोंसे भावाचार की जो विशेषता-विभिन्नता है, वह आगेकी गाथाओंमें नियुक्तिकार कहते हैं... नि. 7 - एकार्थक पर्याय शब्द - आचार, आचाल, आगाल, आकर, आश्वास, आदर्श, जिसका सेवन हो शके वह आचार... वह आचार नामादिसे चार प्रकारका है... वहां नाम एवं स्थापना सुगम है... द्रव्य आचार के तीन भेद है... ? 1. ज्ञ शरीर 2. भव्य शरीर एवं 3. तद्व्यतिरिक्त... तद्व्यतिरिक्त द्रव्य आचार निम्न प्रकारसे है... नामन नमस्कार करना... धोयण धोना = साफ - सुथरा करना... वासण सुवासित - संस्कारित करना... शिक्षापन : आचार - विचार शिखाना... सुकरण अच्छा कार्य करना... अविरोध परस्पर विरोध न हो वैसे कार्य करना... अब भावाचार दो प्रकारका है... 1. लौकिक... और 2. लोकोत्तर... * लौकिक... पाखंडी - संन्यासी लोग पंचरात्र आदि जो भी अनुष्ठान करतें हैं वह... लोकोत्तर... ज्ञानाचारादि पञ्चाचार... ज्ञानाचार के आठ प्रकार - काल विनय बहुमान उपधान अनिह्नव व्यंजन अर्थ तदुभय (क्रियानुष्ठान) दर्शनाचार के आठ प्रकार - शंकाका अभाव - निजवचनमें संदेह न करें कांक्षाका अभाव - अन्य मत को न चाहें 3. निर्विचिकित्सा - धर्म के फलमें संदेह न रखें