Book Title: Acharang Sutram Part 01
Author(s): Jayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
Publisher: Rajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan

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Page 387
________________ 328 श्री राजेन्द्र यतीन्द्र जैनागम हिन्दी प्रकाशन = नि. 143 इक्कस्स दुण्ह तिण्ह व संखिजाण व न पासिउं सक्का / दीसंति सरीराइं निओयजीवाणऽनंताणं // 143 // नि. 144 पत्थेण व कुडवेण व जह कोइ मिणिज्ज सव्वधन्नाई / एवं मविजमाणा हवंति लोया अनंता उ || 144 // नि. 145 जे बायरपजत्ता पयरस्स असंखभागमित्ता ते / / सेसा असंखलोया तिन्निवि साहारणाणंता // 145 // नि. 146 आहारे उवगरणे सयणासण जाण जुग्गकरणे य / . आवरण पहरणेसु अ सत्थविहाणेसु अ बहुसुं // 146 // नि. 147 आउज कट्ठकम्मे गधंगे वत्थ मल्ल जोए य / झावणवियावणेसु अ तिल्लविहाणे अ उज्जोए || 147 // नि. 148 एएहिं कारणेहिं हिंसंति वणस्सई बहू जीवे / सायं गवेसमाणा परस्स दुक्खं उदीरंति // 148 / / नि. 149 कप्पणिकुहाणिअसियगदत्तियकुद्दालवासिपरसू अ / सत्थं वणस्सईए हत्था पाया मुहं अग्गी // 149 // नि. 150 किंची सकायसत्थं किंची परकाय तदुभयं किंचि / एयं दव्वसत्थं भावे य असंजमो सत्थं . // 150 // नि. 151 सेसाई दाराइं ताई जाइं हवंति पुढवीए ___ एवं वणस्सईए निजुत्ती कित्तिया एसा // 151 / / नि. 152 तसकाए दाराई ताई जाई हवंति पुढवीए नाणत्ती उ विहाणे परिमाणुवभोगसत्थे य || 152 // नि. 153 दुविहा खलु तसजीवा लद्धितसा चेव गइतसा चेव / .. लद्धीय तेउवाऊ तेणऽहिगारो इहं नत्थि // 153 //

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