Book Title: Acharang Sutram Part 01
Author(s): Jayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
Publisher: Rajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
View full book text ________________ 326 श्री राजेन्द्र यतीन्द्र जैनागम हिन्दी प्रकाशन नि. 121 दहणे पयावण पगासणे य चेव तह य भत्तकरणे य / बायरतेउक्काए उवभोगगुणा मणुस्साणं / / 121 // नि. 122 एएहिं कारणेहिं हिंसंति तेउकाईए जीवे सायं गवेसमाणा परस्स दुक्खं उदीरंति // 122 // नि. 123 पुढवी आउक्काए उल्ला य वणस्सई तसा पाणा बायरतेउक्काए एयं तु समासओ सत्थं // 123 // नि. 124 किंची सकायसत्थं किंची परकाय तदुभयं किंची / एयं तु दव्वसत्थं भावे य असंजमो सत्थं // 124 / / नि. 125 सेसाई दाराई ताई जाई हवंति पुढवीए एवं तेउद्देसे निजुत्ती कित्तिया एसा // 125 // नि. 126 पुढवीए जे दारा वणस्सइकाएऽवि हुंति ते चेव / नाणत्ती उ विहाणे परिमाणुवभोगसत्थे य // 126 // ' नि. 127 दुविह वणस्सइजीवा सुहमा तह बायरा य लोगंमि / सुहुमा य सव्वलोए दो चेव य बायरविहाणा // 127 // नि. 128 पत्तेया साहारण बायरजीवा समासओ दुविहा / बारसविहऽणेगविहा समासओ छव्विहा हुंति // 128 // नि. 129 रुक्खा गुच्छा गुम्मा लया य वल्ली य पव्वगा चेव / तणवलयहरियओसहिजलरुहकहणा य बोद्धव्वा // 129 // नि. 130 अग्गबीया मूलबीया खंधबीया चेव पोरबीया य / बीयरुहा समुच्छिमा समासओ वणस्सई जीवा // 130 / / नि. 131 जह सगलसरिसवाणं सिलेसमिस्साण वत्तिया वट्टी / पत्तेयसरीराणं तह हुंति सरीरसंघाया // 131 //
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