Book Title: Acharang Sutram Part 01
Author(s): Jayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
Publisher: Rajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan

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Page 388
________________ श्री राजेन्द्र सुबोधनी आहोरी - हिन्दी - टीका 329 नि. 154 नेरइयतिरियमणुया सुरा य गइओ चउव्विहा चेव / पज्जत्ताऽपज्जत्ता नेरझ्याई अ नायव्वा || 154 // नि. 155 तिविहा तिविहा जोणी अंडयपोययजराउआ चेव / बेइंदिय तेइन्दिय चउरो पंचिंदिया चेव // दारं // // 155 // . नि. 156 दसणनाणचरित्ते चरियाचरिए अ दानलाभे अ. उवभोगभोगवीरिय इंदियाविसए य लद्धी य || 156 // नि. 157 * उवओगजोगअज्झवसाणे वीसुं च लद्धि ओदइया (णं उदया) / अट्ठविहोदय लेसा सण्णुसासे कसाए अ // 157 / / नि. 158 लक्खणमेवं चेव उ पयरस्स असंखभागमित्ता उ / निक्खमणे य पवेसे एगाईयावि एमेव // 158 // नि. 159 निक्खमपवेसकालो समयाई इत्थ आवलीभागो / अंतोमुहुत्तऽविरहो उदहिसहस्साहिए दोनि // दारं // // 159 // नि. 160 मंसाईपरिभोगो सत्थं सत्थाइयं अणेगविहं सारीरमाणसा वेयणा य दुविहा बहुविहा य / दारं // // 10 // नि. 161 मंसस्स केइ अट्ठा केइ चम्मस्स केइ रोमाणं पिच्छाणं पुच्छाणं दंताणऽहा वहिजंति // 11 // नि. 162 केई वहति अट्ठा केइ अणट्ठा पसंगदोसेणं . कम्मपसंगपसत्ता बंधंति वहति मारंति // 162 // नि. 163 सेसाई दाराई ताई जाइं हवंति पुढवीए एवं तसकायंमि निजुत्ती कित्तिया एसा // 16 // नि. 164 वाउस्सऽवि दाराई ताई जाई हवंति पुढवीए नाणत्ती उ विहाणे परिमाणवभोगसत्थेय // 164 //

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