Book Title: Acharang Sutram Part 01
Author(s): Jayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
Publisher: Rajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan

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Page 389
________________ 330 श्री राजेन्द्र यतीन्द्र जैनागम हिन्दी प्रकाशन नि. 165 दुविहा उ वाउजीवा सुहुमा तह बायरा उ लोगंमि सुहुमा य सव्वलोए पंचेव य बायरविहाणा // 165 // नि. 166 उक्कलिया मंडलिया गुंजा घणवाय सुखवाया य / बायरवाउविहाणं पंचविहा वणिया एए || 166 // नि. 167 जह देवस्स सरीरं अंतद्धाणं व अंजणाईसुं एओवम आएसो वाएऽसंतेऽवि रूमि // 17 // नि. 168 जे बायरपज्जत्ता पयरस्स असंखभागमित्ता ते / .. सेसा तिन्निवि रासी वीसुं लोगा असंखिज्जा // 168 // (दाएं) नि. 169 वियणधमणाभिधारण उस्सिंचणफुसणआणुपाणू अ / बायरवाउक्काएं उवभोगगुणा मणुस्साणं // 19 // नि. 170 विअणे अ तालावंटे सुप्पसियपत्त चेलकण्णे य / अभिधारणा य बाहिं गंधग्गी वाउसत्थाई // 170 // नि. 971 सेसाई दाराई ताई जाई हवंति पुढवीए एवं वाउद्देसे निजुत्ती कित्तिया एसा // 171 / / इति आचाराङ्गसूत्रस्य प्रथमश्रुतस्कन्धे प्रथमाध्ययन-सम्बन्धिनी नियुक्तिः समाप्ता || गाथा 1 तः 171...

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