Book Title: Acharang Sutram Part 01
Author(s): Jayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
Publisher: Rajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 381
________________ 322 श्री राजेन्द्र यतीन्द्र जैनागम हिन्दी प्रकाशन नि. 77 वण्णरसगंधफासे जोणिप्पमुहा भवंति संखेजा / णेगाइ सहस्साई हुंति विहाणंमि इक्किक्के // 77 // नि. 78 वण्णंमि य इक्किके गंधंमि रसंमि तह य फासंमि / नाणत्ती कायव्वा विहाणए होइ इक्किकं // 78 // नि. 79 ___ जे बायरे विहाणा पजत्ता तत्तिआ अपज्जत्ता सुहमावि हुंति दुविहा पज्जत्ता चेव अपजत्ता || 79 // नि. 80 रुक्खाणं गुच्छाणं गुम्माण लयाण वल्लिवलयाणं जह दीसइ नाणत्तं पुढवीकाए तहा जाण // 80 // . नि. 81 ओसहि तण सेवाले पणगविहाणे य कंद मूले य / जह दीसइ नाणत्तं पुढवीकाए तहा जाण // 81 // नि. 82 इक्कस्स दुण्ह तिण्ह व संखिजाण व न पासिउं सक्का / दीसंति सरीराइं पुढविजियाणं असंखाणं . // 82 // नि. 83 एएहि सरीरेहिं पच्चक्खं ते परूविया हुंति / . सेसा आणागिज्झा चक्नुफासं न जं इंति || 83 // नि. 84 उवओगजोग अज्झवसाणे मइसुय अचक्खुदंसे य / अट्ठविहोदयलेसा सण्णुस्सासे कसाया य // 84 // नि. 85 अट्ठी जहा सरीरंमि अणुगयं चेयणं खरं दिटुं एवं जीवाणुगयं पुढविसरीरं खरं होई // 85 // नि. 86 जे बायरपज्जत्ता पयरस्स असंखभागमित्ता ते सेसा तिन्निवि रासी वीसुं लोया असंखिज्जा // 86 / / नि. 87 पत्थेण व कुडवेण व जह कोइ मिणिज सव्वधन्नाई / एवं मविज्जमाणा हवंति लोया असंखिज्जा // 87 //

Loading...

Page Navigation
1 ... 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390