Book Title: Acharang Sutram Part 01
Author(s): Jayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
Publisher: Rajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan

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Page 379
________________ 320 श्री राजेन्द्र यतीन्द्र जैनागम हिन्दी प्रकाशन नि. 55 एवं पकप्पिआणं दसण्ह अट्ठण्ह चेव य दिसाणं / नामाई वुच्छामि जहक्कम आनुपुव्वीए // 55 // नि. 56 पुव्वा य पुव्वदक्खिण दक्खिण तह दक्खिणावरा चेव / अवरा य अवरउत्तर उत्तर पुव्वुत्तरा चेव // 56 // नि. 57 सामुत्थाणी कविला खेलिजा खलु तहेव अहिधम्मा / ___ परियाधम्मा य तहा सावित्ती पण्णवित्ती य // 57 // नि. 58 हेट्ठा नेरइयाणं अहोदिसा उवरिमा उ देवाणं ... एयाई नामाइं पण्णवगस्सा दिसाणं तु. // 58 // नि. 59 . सोलस तिरियदिसाओ सगडुद्धीसंठिया मुणेयव्वा / दो मल्लगमूलाओ उड्ढे अ अहेवि य दिसाओ // 59 // नि. 60 मणुया तिरिया काया तहऽग्गबीया चउक्कगा चउरो' / देवा नेरझ्या वा अट्ठारस होति भावदिसा || // नि. 11 पन्नवगदिसट्ठारस भावदिसाओऽवि तत्तिया चेव इक्विकं विंधेजा हवंति अट्ठारसऽद्वारा // 11 // नि. 62 पण्णवगदिसाए पुण अहिगारो एत्थ होइ नायव्वो / जीवाण पुग्गलाण य एयासु गयागई अत्थि. // 2 // नि. 63. केसिंचि नाणसण्णा अत्थि केसिंचि नत्थि जीवाणं / कोऽहं परंमि लोए आसी कयरा दिसाओ वा ? // 3 // नि. 64 जाणइ सयं मईए अन्नेसिं वावि अन्तिए सोच्चा / जाणगजणपण्णविओ जीवं तह जीवकाए वा // 14 // नि. 65 इत्थ य सह संमइअति जं एअं तत्थ जाणणा होई / ओहीमणपज्जवनाणकेवले जाइसरणे य // 65 //

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