Book Title: Acharang Sutram Part 01
Author(s): Jayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
Publisher: Rajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
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________________ श्री राजेन्द्र सुबोधनी आहोरी - हिन्दी - टीका 1 - 1 - 6 - 2 (50) 273 V टीका-अनुवाद : द्रव्य एवं भाव भेदसे मंदके दो प्रकार है... (1) द्रव्य मंद - अतिशय स्थूल अथवा अतिशय दुर्बल... (2) भावमंद - मंद बुद्धिवाला अथवा कुशास्त्रको जाननेवाले... यह भी सद्बुद्धिके अभावमें बाल हि है... यहां भाव-मंदका अधिकार है... हित एवं अहितको नहि जाननेवाले, विशेष समझके अभावमें अच्छे आचार-विचार न होनेसे बाल-जीवको हि इस संसारमें परिभ्रमणा होती रहती है... यदि ऐसा है, तो अब क्या करना चाहिये ? इस प्रश्नका उत्तर, सूत्रकार महर्षि आगे के सूत्रमें कहेंगे.... VI सूत्रसार : उक्त उत्पत्ति में कौन व्यक्ति जन्म लेता है ? इसका समाधान करते हुए सूत्रकार ने 'मंदस्स' शब्द प्रयोग किया है / अर्थात् जो मंद बुद्धिवाला है, वह संसार में परिभ्रमण करता है / भेद के अर्थ को स्पष्ट करने के लिए 'अवियाणओ' शब्द का प्रयोग किया है / अर्थात मंद बुद्धिवाला वह है, जो जीव-अजीव आदि तत्त्व ज्ञान से अनभिज्ञ है / इन्हें आगमिक भाषा में बाल भी कहते हैं / क्योंकि प्रायः बालक का ज्ञान अधिक विकसित न होने से वह अपने जीवन की समस्याओं को हल करने में तथा अपना हिताहित सोचने में असमर्थ रहता है / इसी प्रकार अज्ञानी व्यक्ति भी तत्त्व ज्ञान से रहित होने के कारण अपनी आत्मा का हिताहित नहीं समझ पाता और इसी कारण विषय-वासना में आसक्त हो कर संसार बढ़ाता है / इसी अपेक्षा से अज्ञानी व्यक्ति को बाल कहा गया है / बालक के जीवन में व्यवहारिक ज्ञान की कमी है; तो इसमें आध्यात्मिक ज्ञान का विकास नहीं हो पाया है / इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि जो व्यक्ति सम्यग् ज्ञान रहित है, वही संसार में परिभ्रमण करता है / कछ व्यक्तियों का कथन है कि- हम देखते हैं कि जो व्यक्ति तत्त्व ज्ञान से युक्त हैं, वे भी उक्त उत्पत्ति स्थानों में किसी एक उत्पत्ति स्थान में जन्म ग्रहण करते हैं / अनेक साधु संयम का परिपालन करते हुए भी देवगति का आयुष्य बांधते हैं और मनुष्य का आयुष्य भोग कर उपपात योनि में जन्मते हैं और स्वर्ग का आयुष्य पूरा करके फिर से गर्भज योनि में जन्मते हैं / इससे यह कहना कहां तक उचित है कि मंद बुद्धिवाला अतत्वज्ञ व्यक्ति ही . इन उत्पत्ति स्थानों में जन्म लेता है ? प्रस्तुत सूत्र में जो कहा गया है, वह एक अपेक्षा विशेष से कहा गया है और वह