Book Title: Acharang Sutram Part 01
Author(s): Jayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
Publisher: Rajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
View full book text ________________ श्री राजेन्द्र सुबोधनी आहोरी - हिन्दी - टीका 315 आचाराङ्गसूत्रस्य प्रथमश्रुतस्कन्धे प्रथमाध्ययनसम्बन्धिनी नियुक्ति: गाथाङ्क - तः 171 पर्यन्त... नि. 1 वंदित्तु सव्वसिद्धे जिणे अ अनुओगदायए सव्वे / आयारस्स भगवओ निजत्तिं कित्तइस्सामि नि. 2 आयार अंग सुयखंध बंभ चरणे तहेव सत्थे य / परिण्णाए सण्णाए निक्खेवो तह दिसाणं च // 2 // नि. 3 चरणदिसावज्जाणं निक्खेवो चउक्कओ य नायव्वो / चरणंमि छव्विहो खलु सत्तविहो होइ उ दिसाणं // 3 // . नि. 4 .. जत्थ य जं जाणिज्जा निक्खेवं निक्खिवे निरवसेसं / जत्थविय न जाणिज्जा चउक्कयं निक्खिवे तत्थ // 4 // नि. 5 आयारे अंगंमि य पुवुद्दिट्ठो चउक्क निकखेवो नवरं पुण नाणत्तं भावायरंमि तं वोच्छं नि. 6 तस्सेगट्ठ पवत्तण पढमंग गणी तहेव परिमाणे समोयारे सारो य सत्तहि दारेहि नाणत्तं ||6 // - नि. 7 // 7 // // 8 // आयारो आचालो आगालो आगरो य आसासो आयरिसो अंगति य आइण्णाऽऽजाइ आमोक्खा नि. 8 सव्वेसिं आयारो तित्थस्स पवत्तणे पढमयाए सेसाई अंगाई एक्कारस आणुपुव्वीए नि. 9 आयारो अंगाणं पढमं अंगं दुवालसण्हंपि इत्थ य मोक्खोवाओ एस य सारो पवयणस्स नि. 10 आयारम्मि अहीए जं नाओ होइ समणधम्मो उ तम्हा आयारधरो भण्णइ पढम गणिट्ठाणं / // 10 //
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