Book Title: Acharang Sutram Part 01
Author(s): Jayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
Publisher: Rajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
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________________ 124 // १-१-२-१(१४)卐 श्री राजेन्द्र यतीन्द्र जैनागम हिन्दी प्रकाशन इन्हीं पदोंका विस्तारसे अर्थ स्वयं नियुक्तिकार कहते हैं, कि नि. 19 1. नाम पृथ्वी 2. स्थापना पृथ्वी 3. द्रव्य पृथ्वी . 4. भाव पृथ्वी इस प्रकार 'पृथ्वी' का चार निक्षेपे होते हैं... नि. 70 द्रव्य पृथ्वी - आगमसे और नो आगमसे... आगमसे... ज्ञाता किंतु अनुपयुक्त... नो आगमसे... ज्ञ शरीर भव्य शरीर तद्व्यतिरिक्त... ज्ञ शरीर... पृथ्वी को जाननेवालेका शरीर - कलेवर.... भव्य शरीर - पृथ्वी पदार्थको भविष्यमें जो जानेगा वह बालक... तद्व्यतिरिक्त - एक भववाला जीव, कि- जिसने पृथ्वीका आयुष्य बंधा हुआ है... अर्थात् पृथ्वीमें उत्पन्न होने के लिये उदयाभिमुख है नाम और गोत्र कर्म जीसको... भाव पृथ्वी - पृथ्वी योग्य नामकर्मके उदयवाला जीव... . निक्षेप द्वार पूर्ण हुआ... अब प्ररूपणा द्वार... नि. 71 लोकमें पृथ्वीकाय के दो भेद है 1. सूक्ष्म... 2. बादर... सूक्ष्म पृथ्वीकाय संपूर्ण लोकमें है और बादर पृथ्वीकाय, लोक के कितनेक विभागोंमें है, सर्वत्र नहि... पृथ्वीके जीवके दो प्रकार है - सूक्ष्म और बादर... सूक्ष्म नाम कर्मक उदयवाले सूक्ष्म पृथ्वीकाय... बादर नाम कमके उदयवाले बादर पृथ्वीकाय... पृथ्वीके सूक्ष्म और बादरपने में कर्मोका उदय हि कारण है... यहां अन्य कोइ, बोर- . आंवलेकी तरह, सूक्ष्म-बादर की बात नहि है... सूक्ष्म पृथ्वीकाय संपूर्ण लोकमें रहे हुए है, अब बादर पृथ्वीकायके मूलसे हि दो भेद बताते हैं... नि. 72 बादर पृथ्वी के दो भेद लक्षण और खर... श्लक्ष्ण पृथ्वीके काला नीला पीला लाल और सफेद इन पांच वर्णक भेद-कारणसे पांच भेद... खर पृथ्वीके छत्तीस भेद है... यहां गुणके भेदसे गुणवान् में भेद माना है...