Book Title: Acharang Sutram Part 01
Author(s): Jayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
Publisher: Rajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
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________________ श्री सजेन्द्र सुबोधनी आहोरी - हिन्दी - टीका // 1-1 - 5 - 1 (40) // 225 उनमें सूक्ष्म वनस्पतिकाय संपूर्ण लोक-विश्वमें होतें हैं, किंतु वे चर्मचक्षुसे दिखतें है: * तथा उनका एक हि प्रकार है... और बादर वनस्पतिकायके दो भेद हैं... वह कहतें हैं... नि. 128 बादर वनस्पतिकायके प्रत्येक एवं साधारण ऐसा संक्षेपसे दो भेद हैं... प्रत्येक याने एक शरीरमें एक जीव... जैसे कि- पत्ते, पुष्प, मूल, फल, शाखा (डाली) वगैरह... और एक हि शरीरमें परस्पर जुडे हुए अनंत जीवों जहां रहतें हैं वह साधारण वनस्पतिकाय... प्रत्येक वनस्पतिकायके बारह (12) भेद है, और साधारण वनस्पतिकायके अनेक भेद हैं तथा वनस्पतिकाय के संक्षेप से छह (E) भेद भी कहे गयें हैं... अब प्रत्येक वनस्पतिकायके बारह भेद कहतें हैं... नि. 129 1. वृक्ष = . वृक्षके दो प्रकार हैं, एकबीज एवं बहुबीज... उनमें एक बीजवाले पीचुमंद (लीमडो) अंकोट (पीस्तेका वृक्ष) आम, शाल-वृक्ष, अंकोल्ल (अंकोट वृक्षपीस्ता) पीलु का वृक्ष (पीलुडां), शल्लकीका वृक्ष वगैरह... और बहुबीजवाले वृक्ष = उदुंबर, कपित्थ (कोठा) अस्तिक, तिंदुक, बिल्व, आमला, पनस, दाडिम, मातुलिंग (बीजोरा) आदि अनेक बीजवाले वृक्ष हैं... गुच्छ - वृत्ताक (बेंगन) कपास, जपा, आढकी, तुलसी, कुसुंभरी, पिष्पली, नीली आदि... 3. गुल्म नवमालिका, सेरियक, कोरंटक, बंधुजीवक, बाणका पौधा, करवीर, सिंदुवार, विचलिक, जाइ, यूथिका आदि... 4. लता = पद्म, नाग (नागरवेल), अशोक, चंपक, चूत, वासंती, अतिमुक्तक, कुंद (चमेलीका एक प्रकार) इत्यादि... 5. वल्ली = कुष्मांडी, कालिंगी, अपुषी, तुंबी, वालुंकी, एला, लुकी, पटोली (ककडीकी जाति) आदि 6. पर्वगा = 7. तृण - इक्षु (शेरडी) वीरण, शुंठ, शर, वेत्र, शतपर्व, वंश, नल, वेणुका, आदि... श्वेतिका, कुश, दर्भ, पर्वक, अर्जुन, सुरभि, कुरुविंद, आदि... 8. वलय - ताल, तमाल, तक्कली, शाल, सरकाल केतकी कदली (केला) कंदली आदि..