Book Title: Acharang Sutram Part 01
Author(s): Jayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
Publisher: Rajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
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________________ 262 // 1-1-6-1(49) श्री राजेन्द्र यतीन्द्र जैनागम हिन्दी प्रकाशन नि. 155 शीत उष्ण एवं मिश्र भेदसे योनीयोंके तीन भेद है... सचित्त अचित्त एवं मिश्र भेदसे योनीयोंके तीन भेद है... संवृत विवृत एवं मिश्र भेदसे योनीयोंके तीन भेद है... इस प्रकार योनीयोंके अनेक तीन तीन भेद हैं... उनमें नारकोंकी प्रथम तीन भूमिमें शीत योनि होती है... चौथी नरक भूमिमें उपरके भागमें शीत योनि तथा नीचेके भागोंके नारकोंकी उष्ण योनि होती है, और पांचवी छठी एवं सातवी नरक भूमिमें उष्ण योनि होती है... अन्य नहिं... गर्भज तिर्यंच पंचेंद्रिय एवं गर्भज मनुष्योंकी शीतोष्ण (मिश्र) योनी होती है, सभी देवोंकी शीतोष्ण (मिश्र) योनी होती है... बेइंद्रिय - तेइंद्रिय - चउरिंद्रिय एवं संमूर्छिम पंचेंद्रिय तिर्यंच एवं मनुष्योंकी शीत, उष्ण और शीतोष्ण (मिश्र) तीनों प्रकारकी योनीयां होती है... तथा नारक एवं देवोंकी अचित्त योनि होती है, अन्य नहिं... और बेइंद्रियसे लेकर संमूर्छिम पंचेंद्रिय तिर्यंच तथा मनुष्योंको सचित्त अचित्त एवं मिश्र योनीयां होती है... गर्भज तिर्यंच एवं मनुष्योंकी एक हि सचित्त + अचित्त (मिश्र) योनी होती है, अन्य नहिं... देव और नारकोंको संवृत्त योनि होती है... अन्य नहिं... बेइंद्रिय से लेकर संमूर्छिम पंचेंद्रिय तिर्यंच एवं मनुष्योंको विवृत योनि होती है, अन्य नहिं... तथा गर्भज तिर्यंच एवं मनुष्योंको संवृतविवृत (मिश्र) योनि होती है, अन्य नहिं... नारकको नपुंसक योनि होती है, तिर्यंच गतिमें स्त्री, पुरुष एवं नपुंसक तीनो योनियां होती है... देवोंमें स्त्री एवं पुरुष दो हि योनीयां होती है... मनुष्य-योनिके अन्य भी तीन प्रकार होतें है... वह इस प्रकार कूर्मोन्नता- इस योनिमें अरिहंत, चक्रवर्ती आदि उत्तम पुरुषोकी उत्पत्ति होती है... शंखावर्ता- चक्रवत्तीके स्त्रीरत्नकी योनि शंखावर्त होती है, इस योनीमें जीवोंकी उत्पत्ति तो होती है, किंतु निष्पत्ति याने जीवन नहिं होता... अर्थात् उत्पन्न होते हि थोडी सी देरमें जीव मर जातें है... वंशीपत्ता- इस योनी में शेष सभी मनुष्य उत्पन्न होते हैं... 3. और भी योनीयोंके तीन प्रकार होतें है, वह इस प्रकार... 1. अंडज 2. पोतज 3. जरायुज पक्षी आदि... वल्गुली, गज (कलभक) आदि.. गाय - भेंस - मनुष्य आदि... -