Book Title: Acharang Sutram Part 01
Author(s): Jayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
Publisher: Rajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
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________________ 160 1 - 1 - 3 - 1 (19) श्री राजेन्द्र यतीन्द्र जैनागम हिन्दी प्रकाशन सूक्ष्म अप्काय जीव संपूर्ण 14 राजलोकमें है और बादर अप्काय लोक के कितनेक भागोमें हैं... अब बादर अप्काय के पांच प्रकार कहते हैं... नि. 108 1. शुद्ध जल 2. ओस 3. हिम 4. महिका तथा 5. हरितनु... 1. शुद्ध जल... तालाब, समुद्र, नदी, सरोवर और गर्ता (खाडे-खाबोचीये) के जल... 2. अवश्याय = ओस = रात्रिमें जो स्निग्धता होती है, वह... 3. हिम = ठंडीके दिनोंमें शीतल पुद्गलोंके संपर्कसे जल जो कठिनताको प्राप्त करतें हैं वह बरफ आदि... 4. महिका - गर्भमास आदिमें सामको अथवा सुबह जो धूमिकापात (धुम्मस) होता है उसे महिका कहते हैं... 5. हरितनु - वर्षा और शरत् कालमें वनस्पति (हरित) के अंकुर पे रहे हुए जलबिंदु, कि- जो भूमि- स्नेहके संपर्कसे उत्पन्न हुए होते हैं... इस प्रकार बादर अप्काय जीवोंके पांच प्रकार स्वरूपके साथ बताये... अब पन्नवणा (प्रज्ञापना) सूत्रमें तो अप्काय जीवोंके बहोत सारे भेद-प्रभेद कहे हैं.. वे इस प्रकार- (1) करक- कठिन होनेसे बरफ-हिम स्वरूप है... शीत-जल शीत स्पर्शवाला शुद्ध जल , उष्ण-जल उष्ण स्पर्शवाला शुद्ध जल क्षार-जल क्षार रसवाला शुद्ध जल क्षत्र-जल क्षत्र रसवाला शुद्ध जल कटु जल कटु रसवाला शुद्ध जल अम्ल-जल अम्ल-खट्टा रसवाला शुद्ध जल लवण-जल लवण-नमक रसवाला शुद्ध जल (9) वरुण-जल वरुण-मदिरा रसवाला शुद्ध जल (10) कालोद-जल कालोद नामके समुद्रका शुद्ध जल (11) पुष्कर-जल पुष्कर नामके समुद्रका शुद्ध जल (12) क्षीररस जल क्षीर-दुध रसवाला शुद्ध जल (13) घृतरस जल घृत-घी रसवाला शुद्ध जल (14) इक्षुरस-जल गन्ना-शेरडी रसवाला शुद्ध जल इस प्रकार यह सभी "शुद्ध-जल''- प्रकारमें समाविष्ट होते हैं