Book Title: Acharang Sutram Part 01
Author(s): Jayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
Publisher: Rajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
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________________ श्री.राजेन्द्र सुबोधनी आहोरी-हिन्दी-टीका 卐 1 - 1 - 1 - 1 // वैदेह + + + शुद्र स्त्री क्षत्रिय पुरुष + ब्राह्मण स्त्री - सूत शुद्र पुरुष क्षत्रिय स्त्री क्षत्र वैश्य पुरुष ब्राह्मण स्त्री नि. 25. 9. शुद्र पुरुष + ब्राह्मण स्त्री - चांडाल इस प्रकार यहां 4 + 3 + 9 = 16 वर्ण हुए... अब वर्णातरोंके संयोगसे होनेवाले प्रकार कहते हैं... नि. 26 उय पुरुष क्षत्रा स्त्री श्वपाक 2. विंदेह पुरुष + क्षत्रा स्त्री - वैणव निषाद पुरुष अंबष्ठ स्त्री या बुक्कस नि. 27 .. 4. शुद्र पुरुष + निषाद स्त्री - कुक्कुरक इस प्रकार अन्य चार प्रकार भी होते हैं... ' अब द्रव्य ब्राह्मण निक्षेप के उत्तर भेद कहते हैं... 1. ज्ञ शरीर 2. भव्यशरीर 3. तद्व्यतिरिक्त... 1. ज्ञ शरीर = ब्राह्मण का मृतक कलेवर... 2. . भव्य शरीर = ब्राह्मण होनेवाला बालक... तद्व्यतिरिक्त = मिथ्या-ज्ञानवाले शाक्य-परिव्राजक आदि संन्यासीओका बस्तिनिरोधक्रिया... तथा विधवा एवं देशांतर गये हुए पतिवाली स्त्रीओंका कुल की व्यवस्थाके लिये कारित एवं अनुमति स्वरूप ब्रह्मचर्य... भाव ब्रह्म निक्षेप - साधुओंका बस्ति निरोध... याने 17 प्रकारका संयम... तथा 18 प्रकारके अब्रह्मका त्याग... देव संबंधि कामरति सुखका त्रिविध त्रिविध से... एवं औदारिक संबंधि कामरति सुखका त्रिविध त्रिविध से... अत: 3x3 = 9 + 9 = 18 प्रकार से कामरति भोग सुखका त्याग... अब "चरण" पदके निक्षेप कहते हैं...