Book Title: Acharang Sutram Part 01
Author(s): Jayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
Publisher: Rajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
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________________ # 1 - 1 - 1 - 1 // श्री राजेन्द्र यतीन्द्र जैनागम हिन्दी प्रकाशन - नाम, स्थापना, द्रव्य, क्षेत्र, काल एवं भाव = 6 प्रकारसे "चरण" पदके निक्षेप होते नाम-स्थापना सुगम है.... द्रव्य चरण निक्षेप में तव्यतिरिक्त के 3 प्रकार... 1. गति द्रव्य चरण = गमन - आगमन... आहार द्रव्य चरण - मोदक आदि भोजन... गुण द्रव्य चरण के दो प्रकार है... 1. लौकिक 2. लोकोत्तर... लौकिक गुण द्रव्य चरण = धनोपार्जनके लिये हाथी एवं घोडे आदि की शिक्षा... लोकोत्तर गुण द्रव्य चरण = अनुपयुक्त दशामें होनेवाले साधुओंका व्रत पालन... अथवा उदायि राजाको मारनेवाले विनयरत्न साधुना चारित्र... क्षेत्र चरण निक्षेप = जिस क्षेत्रमें विहार तथा आहारके लिये गोचरी जाना... अथवा जहां चरण पद का व्याख्यान कीया जाय वह क्षेत्र... शब्दकी समानता से गेहूं चावल आदिके क्षेत्रमें विचरण... काल चरण निक्षेप = क्षेत्र चरण निक्षेपकी तरह... जिस कालमें विहार एवं गोचरी गमन हो... अथवा जिस कालमें चरण पदका व्याख्यान कीया जाय... अब भाव चरण निक्षेप. कहते हैं... नि. 30 भाव चरण निक्षेप भी गति आहार एवं गुण के भेदसे तीन प्रकारका है गति भाव चरण - ईर्यासमिति में उपयोगवाले साधुका युग (3.1/2 हाथ) प्रमाण दृष्टिसे गमन... 1. आहार भाव चरण - एषणासमिति में उपयुक्त साधुका शुद्ध अशन-पान आदिका भोजन... 3. गुण भाव चरण निक्षेपके दो भेद है... 1. अप्रशस्त गुणभावचरण - मिथ्या दृष्टि ओंका-आचार... और सम्यग्दृष्टिओंका - पौद्गलिकसुखकी कामना से नियाणा वाला आचारतपश्चर्या...