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4. विज्ञान का विवेचन
प्राचीन भारतीय साहित्य में 'विज्ञान' शब्द का अर्थ आधुनिक 'साइन्स' शब्द के अर्थ के समान 'भौतिक पदार्थों के ज्ञान' तक ही सीमिति नहीं है, अपितु वहाँ यह व्यापक अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। व्याकरण की दृष्टि से 'विज्ञान' शब्द विशेष अर्थवाचक 'वि' उपसर्ग, ज्ञान अर्थवाचक 'ज्ञा' धातु व 'ल्युट्' प्रत्यय से बना है जिसका अर्थ है-विशेष ज्ञान। किसी एक तत्त्व, पदार्थ अथवा उसके किसी अंग-प्रत्यंग, शाखाउपशाखा का ज्ञान सामान्य कहा जाता है और उन ज्ञानों का उपयोगिता की दृष्टि से समीचीन सामञ्जस्य स्थापित करने वाला सम्यक् ज्ञान, विशेषज्ञान, या 'विज्ञान' कहा जाता है। किसी प्रकार के ढाँचे या शाखा का विशेष (Specific) ज्ञान, जिसे आज 'विज्ञान कहा जाता है, शास्त्रीय भाषा में उसे 'नयज्ञान' कहा गया है। नयज्ञान एकपक्षीय या एकांगी होता है। एकांगी या एकपक्षीय ज्ञान जीवन में असंतुलन उत्पन्न करता है। जब यही नयज्ञान अन्य ज्ञानों के साथ अपना सम्यक् संबंध स्थापित कर लेता है, तो यह सम्यग्ज्ञान रूप हो जाता है। शास्त्रों में इसी सम्यग्ज्ञान को 'विज्ञान' कहा गया है।
__ आज ‘साइन्स' (Science) शब्द का अर्थ भारतीय प्राचीन साहित्य में प्रयुक्त 'विज्ञान' शब्द के अर्थ से दूर पड़ गया है, परंतु प्रारम्भिक अवस्था में इन दोनों का मूल समान है। जिस प्रकार विज्ञान शब्द