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वनस्पति में संवेदनशीलता
101 स्टॉर्च, प्रोटीन आदि भोज्य सामग्री का रूप ले लेता है। वही भोज्य-सामग्री वनस्पति का पोषण व संवर्धन करती है। इस प्रकार वनस्पति रोमाहार और ओजाहार इन दोनों ही क्रियाओं से भोजन-सामग्री जुटाकर अपना जीवनसंचालन करती है।
___ आगम में भोज्य पदार्थों का वर्गीकरण करते हुए कहा है“ओरालि-यसरीरा जाव मणूसा सचित्ताहारा वि अचित्ताहारा वि, मीसाहारा वि।
-पन्नवणा पद 28, उद्देशक 1, सूत्र 641 औदारिक शरीर वाले मनुष्य पर्यंत जीव सचित्त, अचित्त और मिश्र, तीनों प्रकार का आहार करते हैं। इससे स्पष्ट है कि औदारिक शरीरधारी वनस्पति भी उक्त तीनों प्रकार का आहार करती है। पौधे जड़ द्वारा फास्फोरस, कैलसियम, सोडियम आदि निर्जीव खनिज पदार्थों का आहार लेते हैं, यह अचित्त आहार है। मिश्र आहार अचित्त (निर्जीव) और सचित्त (सजीव) इन दोनों पदार्थों के मिश्रण से बना होता है। जड़ द्वारा लिए जाने वाले घुले विलयन प्राय: मिश्र आहार ही होते हैं। वनस्पति द्वारा किए जाने वाला दुग्धाहार भी इसी श्रेणी का है। वनस्पति विशेषज्ञों का कथन है कि-"जिस प्रकार गाय, भैंस, बकरी आदि के दूध का आहार लेने से मनुष्य के शरीर का पोषण होता है, इसी प्रकार वनस्पतियों में भी दूध से पोषण होता है। नारियल का दूध पेड़ों में वही काम करता है जो साधारण दूध पशु शावकों के लिए करता है। जिस प्रकार शावक के शरीर में जाकर दूध माँसपेशियों में परिवर्तित हो जाता है, ठीक उसी प्रकार यह दूध पौधों में जाकर काष्ठ आदि में परिवर्तित हो जाता है और उनके ठोस भाग का पोषण और वर्द्धन करता है। अमेरिका के कार्नेल विश्वविद्यालय
1. नवनीत, अगस्त 1957, पृष्ठ 52