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जीव-अजीव तत्त्व एवं द्रव्य बारह आवेश शून्य और ग्यारह धन आवेश वाले न्युक्लीओनों से सोडियम के केन्द्र-कण का निर्माण होता है। इसके चारों ओर घूमने वाले ग्यारह इलेक्ट्रोन होते हैं। इस प्रकार सोडियम के एक अणु का निर्माण होता है। क्लोरीन के अठारह या बीस आवेश शून्य और सतरह धन आवेश वाले न्युक्लीओनों से केन्द्र कण तथा सतरह घूमने वाले इलेक्ट्रोनों से एक अणु बनता है। एक सोडियम और एक क्लोरीन का अणु मिलने से एक स्कंधाणु का निर्माण होता है।
(3) हाइड्रोजन के दो स्कंध (H.) गंधक का एक स्कंध (s) तथा ऑक्सीजन के चार स्कंध (0.) मिलाने H,So, पर तेजाब बन जाता है।
इस प्रकार स्कंधों के मिलन से नवीन पदार्थ की रचना होने के उदाहरणों से विश्व भरा पड़ा है। आगे पुद्गल के गलन स्वभाव अर्थात् स्कंधों के विच्छेद से नवीन पदार्थ की रचना होने विषयक उदाहरण प्रस्तुत किये जाते हैं, यथा
___ (1) ऊपर जो पुद्गल के पूरण (मिलन) गुण से होने वाले स्कंध निर्माण के उदाहरणों में जल, नमक, H,So, तेजाब रचना के उदाहरण दिये गये हैं। इन्हीं पदार्थों का विज्ञानशालाओं में विश्लेषणात्मक प्रयोग करने पर वे ही पदार्थ वापिस उपलब्ध हो जाते हैं। जिनसे इनका निर्माण हुआ है।
(2) सन् 1941 में वैज्ञानिक बैंजामिन ने पुद्गल के गलन स्वभाव अर्थात् विच्छेदात्मक प्रयोग कर पारे को सोने के रूप में परिवर्तित कर विश्व को विस्मित कर दिया था। पारे के अणु का भार दो सौ अंश होता है। उसे एक अंश भार वाले विद्युत् प्रोटोन से विस्फोटित किया गया जिससे वह प्रोटोन पारे में लय हो गया और उसका भार 201 हो गया। तत्क्षण स्वत: उस लय अणु की मूल धूल से एक अल्फा बिन्दु अलग हो गया।