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जीव-अजीव तत्त्व एवं द्रव्य
लॉर्ड कर्जन काबुल के पास के एक रेतीले क्षेत्र का वर्णन करते हुए लिखते हैं कि यहाँ की रेत से बड़ी भयानक आवाज निकलती है। लगता है कि कोई घुड़सवार दल नगाड़ा बजाता हुआ तेजी से चला जा रहा है।
___ हवाई द्वीप में भी ऐसे रेतीले टीले हैं जिनमें से कुत्ते के रोने जैसी आवाज निकलती है। हेब्राइडस द्वीप-समूह के ‘एग' द्वीप की रेत में से तेज सीटी जैसी आवाज निकलती है। ईरान के मरुस्थल में वीणा जैसी सुरीली आवाज सुनाई देती है।
लेखक ने स्वयं धनोप ग्राम के निकट खारी नदी में बालू के टीले में अनेक बार सुरीली स्वरमय ध्वनियाँ सुनी हैं।
इसी प्रकार पुराने खण्डहरों, वृक्षों से भी सीटी बजने जैसी विचित्र प्रकार की ध्वनियाँ सुनाई पड़ती हैं, जो वहाँ भूत-प्रेत होने का भ्रम पैदा कर देती हैं। परंतु वस्तुत: ये वायु चलने से उत्पन्न हुई ध्वनियाँ ही होती है।
__ आजकल इलेक्ट्रॉनिक संगीत यंत्रों से भी आश्चर्यजनक धुन (ध्वनियाँ) निकाली जाती हैं। मैसूर के अजायबघर में ऐसे वाद्य यंत्र हैं जिनको चलाने से नई-नई ध्वनियाँ निकलती हैं।
(3) मिश्र शब्द-जीव शब्द और अजीव शब्द, इन दोनों से मिली हुई ध्वनि को मिश्र शब्द कहा जाता है। जैसे वाद्य यंत्र के साथ व्यक्ति के गाने की ध्वनि।
अभिप्राय यह है कि शब्द के तीनों प्रकार-जीव शब्द, अजीव शब्द और मिश्र शब्द असंख्य प्रकार के हैं।
जैनदर्शन में शब्द या भाषा के विषय में अनेक विलक्षण व