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पुद्गल की विशिष्ट पर्यायें
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संबंध में अनुमान लगाया गया है कि एक वर्ग सेंटीमीटर प्रकाशीय क्षेत्रफल में साठ करोड़ वाट की शक्ति छिपी होती है । सारी शक्ति को लेंस द्वारा जब एक सेंटीमीटर में घनीभूत कर दिया जाता है तो उससे निकलने वाली रश्मियाँ क्षण भर में मोटी से मोटी इस्पात - चादर को गलाकर भेद देती हैं। वर्तमान में अनेक कारखानों में इस्पात की चादर को काटने का काम लेसर से ही लिया जाता है।
वस्तुत: लेसर एक ऐसा शुद्ध प्रकाश है जिसमें केवल एक ही आवृत्ति की तरंगें होती हैं तथा प्रत्येक तरंग एक दूसरी के समानान्तर चलती है व उनमें कुछ भी कालान्तर नहीं होता । अतः लेसर का प्रकाश तीव्र होता है। साधारण प्रकाश अपने स्रोत से निकलकर चारों ओर फैलता जाता है। लेसर का प्रकाश एक दिशी होता है, वह फैलता नहीं, लेसरप्रकाश संसक्त है।
अपार शक्ति - धारिणी लेसर किरणों के कितने ही उपयोगे होने लगे हैं। किसी भी स्थान पर इन किरणों से न्यूनतम मोटाई का सुराख करना इतना ही सरल है जितना कि राइफल की गोली का मक्खन की डली में से निकलना। इन किरणों से इंच के दस हजारवें भाग तक लघु छिद्र करना संभव है। हीरे जैसे कठोरतम पदार्थ में लघुतम छेद करने व काटने आदि में इसका उपयोग होने लगा है।
लेसर किरणों से कठोर धातु को क्षण भर में पिघलाने का काम लिया जाने लगा है तथा किन्हीं दो या अधिक धातुओं को पिघलाकर उन्हें जोड़ने की क्रिया सैकेण्डों में पूरी हो जाती है। यहाँ तक कि भारी अणुओं में होने वाली अज्ञात रासायनिक क्रियाएँ जैसे अनेक प्रकार के परमाणुओं का एक अणु बनाना अथवा एक अणु में से अनेक अणु तैयार करना,