Book Title: Vigyan ke Aalok Me Jeev Ajeev Tattva Evam Dravya
Author(s): Kanhaiyalal Lodha
Publisher: Anand Shah

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Page 307
________________ (10) 'जल' पर्याय परिवर्तन के कारण तीनों अवस्थाओं को ग्रहण कर सकता है। बर्फ की पर्याय में वह ठोस, जल की पर्याय में द्रव तथा भाप की पर्याय में गैस अवस्था को धारण कर लेता है। पुद्गल की शक्ति भी पुद्गल की एक पर्याय है। उसमें भी द्रव्यमान होता है। कर्म के रूप में पुद्गलों का ही आत्मा से बंध होता है। बंध में स्निग्धता एवं रूक्षता को जैनदर्शन निमित्त मानता है तो विज्ञान में धन विद्युत् एवं ऋण विद्यत् स्वीकार की गई है। पुद्गल में गतिशीलता, अप्रतिघातित्व, परिणामी-नित्यत्व आदि विशेषताओं का उल्लेख करने के साथ श्रीयुत् लोढ़ा साहब ने शब्द, अंधकार, उद्योत, छाया, आतप आदि पौद्गलिक पर्यायों का भी विस्तार से वैज्ञानिक प्रतिपादन किया है। ___इस प्रकार यह पुस्तक जैनदर्शन के अनुरूप जीव एवं अजीव द्रव्यों का प्रतिपादन करने के साथ विज्ञान से उनकी तुलनात्मक महत्ता भी प्रस्तुत करती है। इसमें अनेक रोचक वैज्ञानिक तथ्यों एवं प्रयोगों की भी चर्चा है, फलत: यह पाठकों का ज्ञानवर्द्धन करने के साथ चिंतन एवं अनुसंधान की एक नई दिशा प्रदान करती है, जिससे विज्ञान एवं आगम के पारस्परिक अध्ययन का द्वार खुलता है, जो युग की माँग के अनुकूल है। ___ -डॉ. धर्मचन्द जैन एसोशियेट प्रोफेसर, संस्कृत-विभाग, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर (राजस्थान)

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