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जीव- अजीव तत्त्व एवं द्रव्य
अणु
के किसी विशेष भाग को अलग करना आदि कार्य बड़े आसान हो गये हैं। घण्टों के काम सैकेण्डों में होने लगे हैं।
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आँखों के पीछे लगे पर्दे ( रेटीना) का अपने स्थान से हट जाने पर आदमी अंधा हो जाता है। इसका पहले कोई उपचार नहीं था । परंतु अब चिकित्सक लेसर किरणों से रेटीना को पिघलाकर उसे अपने स्थान पर जमाकर बड़ी ही शीघ्रता से वैल्डिंग कर देते हैं । लेसर किरणों से किन्हीं दो वस्तुओं को जोड़ने का काम बिना अधिक ऊष्मा पैदा किये सूक्ष्मता से हो जाता है।
मानव शरीर के उपरि भाग को बिना चीर-फाड़ किये, लेसर किरणें शरीर के भीतरी भाग में प्रकाश कर शल्य चिकित्सा सफलता पूर्वक कर देती हैं। यदि इन किरणों को पृथ्वी पर एक स्थान से दूसरे स्थान पर फैंकने का प्रयत्न किया जाये तो कश्मीर में स्थित उपकरण से निकलने वाली लेसर किरणें कन्याकुमारी में रखी पतीली में चाय उबाल सकती हैं। इनसे आकाश में गतिमान किसी भी यान को पृथ्वी से ही शक्ति पहुँचाई जा सकती है। जैसे कोई उपग्रह गति मंद होने के कारण नीचे गिरने लगे तो लेसर किरणों के दबाव से अपनी कक्षा में पुनः स्थापित किया जा सकता है।
लेसर की एक छड़ी बनाई गई है जो अंधों को मार्ग-दर्शन का काम देगी। छड़ी की नोंक से लेसर किरणें निकलेंगी और मार्ग में रुकावट डालने वाली वस्तुओं से टकराकर पुनः उपकरण में लौट आयेंगी। लौटी हुई किरण द्वारा रुकावट डालने वाली वस्तुओं का ज्ञान थपकी द्वारा अंधे की हथेली पर आयेगा, जिससे वह जान सके कि उधर जाना ठीक है या नहीं ।
प्रकाश मात्र चाहे वह सूर्य का आतप हो अथवा चन्द्र का उद्योत,