Book Title: Vigyan ke Aalok Me Jeev Ajeev Tattva Evam Dravya
Author(s): Kanhaiyalal Lodha
Publisher: Anand Shah

View full book text
Previous | Next

Page 300
________________ प्रकाशकीय जैनदर्शन में प्रकृति के मूलभूत तत्त्वों के विषय में गहन चिंतन किया गया है। किंतु पारम्परिक साहित्य में उस विषय के आध्यात्मिक पहलुओं की चर्चा पर ही अधिक जोर दिया गया है। उसके वैज्ञानिक पक्ष को अधिकांशत: अछूता ही छोड़ देने की परम्परा रही है। __आधुनिक विज्ञान के विकास के साथ एक धारा भारतीय विचारकों में आरंभ हुई जो प्राचीन वाङ्मय में हमारे पुरखों की वैज्ञानिक उपलब्धियों को खोजने लगी। पर यह प्रयास केवल समानता दिखाने तक ही सीमित हो गया। बहुत कम प्रयास ऐसे हुए जो भारतीय उपलब्धियों को ऐसे वैज्ञानिक धरातल पर स्थापित करते जहाँ से अभिनव खोज की धाराएँ निकल पाती। श्री कन्हैयालालजी लोढ़ा उन कतिपय चिंतकों में हैं जो प्राचीन मनीषियों के चिंतन को वह भूमिका देने का प्रयास करते हैं जहाँ से अन्वेषण की प्रेरणा मिले। विज्ञान और दर्शन एक-दूसरे के पूरक की दृष्टि से देखे जा सकें, एकदूसरे से विपरीतगामी नहीं। हम उनके चिंतन की एक कड़ी "जीव-अजीव तत्त्व एवं द्रव्य' अपने पाठकों के समक्ष रख रहे हैं।

Loading...

Page Navigation
1 ... 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315