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जीव-अजीव तत्त्व एवं द्रव्य किसी स्थान से प्रसारित टेलीविजन एक निश्चित व अल्प दूरी के आगे नहीं देखा जा सकता। इसीलिए टेलीविजन प्रसारण स्टेशन उपग्रह पर बनाये जाते हैं।
___ “आधुनिक विज्ञान ने ऐसे इलेक्ट्रॉनिक तोलमापी तैयार किये हैं जिनकी सूक्ष्म-मापकता अकल्पनीय है, जिनसे 1,000 पृष्ठों के ग्रन्थ के अंत में बढ़ाये हुये एक फुटस्टॉप, किसी भी वस्तु की परछाई जैसी कुछ वजनी वस्तुओं के भी भार ज्ञात किये जा सकते हैं।"1 विज्ञानलोक का यह उल्लेख यह सिद्ध करता है कि परछाई पदार्थ तो है ही, साथ ही इतनी भारवान भी है जिसे तौला जा सकता है।
प्रतिबिम्ब कभी-कभी मृग-मरीचिकाओं के रूप में भी प्रकट होते हैं। ग्रीष्म ऋतु में दोपहर के समय रेगिस्तान या जंगलों में जहाँ कई मीलों तक पानी का नामोनिशान भी नहीं होता है, वहाँ पानी से भरे जलाशय दिखाई देने लगते हैं। मृग उनमें वास्तविक पानी भरा समझकर अपनी प्यास बुझाने के लिए वहाँ पहुँचता है। लेकिन वहाँ उसे पानी नहीं मिलता है। फिर उसे दूसरी जगह पानी दिखाई देता है और वह उधर दौड़ता है। इस प्रकार बार-बार पानी से प्यास बुझाने के लिए दौड़ता है परंतु पानी कहीं नहीं मिलता। सूरज की तेज धूप व गर्मी तथा दौड़ने से प्यास बढ़ती जाती है और वह प्यास से तड़प-तड़प कर मर जाता है। इस प्रकार के सभी दृश्य जो कि सचमुच में कुछ नहीं होते, केवल दिखाई देते हैं-उन्हें मृगमरीचिका के नाम से कहा जाता है।
मृग-मरीचिकाएँ अनेक विचित्र रूपों में प्रकट होती हैं यथा-(1) वस्तुओं का अस्तित्व न होने पर भी वस्तुएँ दिखाई देना, गंधर्व नगरों का 1. विज्ञानलोक, दिसम्बर 1964, पृष्ठ 42