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पुद्गल द्रव्य
221 समर्थन करता है और इसे पदार्थ-शक्ति की सुरक्षा के सिद्धांत (Principle of conservation of matter of energy) के रूप में मान्य करता है।
जर्मन विज्ञानाचार्य प्लांक ने अपने 'क्वांटम' सिद्धांत से यह प्रमाणित किया कि जिस प्रकार प्रकाश न तो पूर्णतः सूक्ष्म कणपुंज है और न पूर्णत: तरंग पुंज, प्रत्युत् दोनों है, उसी प्रकार यह सिद्धांत विश्व के अन्य सब पदार्थों पर घटित होता है। यथा
प्रकाश की तरह ही इलेक्ट्रोन तथा प्रोटोन नामक वैद्युतिक अणु भी जो विश्व में स्थित समग्र पदार्थों का मूल उपकरण है, सभी सूक्ष्म किरणों के रूप में हमारे सामने आते हैं और कभी सूक्ष्म तरंगों के रूप में। इन सब उदाहरणों से हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि, पदार्थ जगत् के जो सूक्ष्मतम कण हैं, वे तरंगों के अतिरिक्त और कुछ नहीं हैं और इस प्रकार समग्र विश्व की मूल पार्थिव सत्ता तरंगमय है। इसी से एकदूसरे महत्त्वपूर्ण परिणाम पर हम पहुँचते हैं। यह हम जानते हैं कि पदार्थ के सूक्ष्मतम आधार हैं वैज्ञानिक अणु (इलेक्ट्रोन तथा प्रोटोन) और ये अणु सूक्ष्म विद्युत्-तरंग (अर्थात् विशुद्ध विद्युत्) के अतिरिक्त और कुछ नहीं। यह सभी जानते हैं कि विद्युत् कोई पदार्थ नहीं बल्कि एक शक्ति है। अतएव पूर्वोक्त नये आविष्कार के फलस्वरूप पदार्थ और शक्ति का भेद मिट जाता है। प्रोफेसर मैक्सबोर्न का कथन है कि-Energy and mass are just different names for uniformic unity. The sun losses in one year 1,38,00,00,00,000 by its Radiation.
Restless Universe अर्थात् शक्ति और पदार्थ एक ही वस्तु के दो पृथक्-पृथक् नाम हैं तथा रेडिएशन भी एक शक्ति है जो सूर्य से प्रवाहित होती रहती है और जिससे सूर्य प्रतिवर्ष एक खरब अड़तीस टन पदार्थ (Mass) खोता है।
1. नवनीत, दिसम्बर 1955, पृष्ठ 30