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जीव-अजीव तत्त्व एवं द्रव्य tal Mality) कभी नष्ट नहीं होती, केवल रूपान्तरित (Modified) ही होती है। उदाहरणार्थ मोमबत्ती को ही लें। उसे जलाने पर कुछ कार्बन तो उसके नीचे मौलिक रूप में एकत्र हो जाता है और कुछ वाष्प (Gas) में रूपान्तरित हो हवा में चला जाता है। यदि काँच का भाजन उस पर रख दें तो वाष्प में रूपान्तरित कार्बन वापस प्राप्त हो जाता है। वैज्ञानिक हेकल (Hackel) का कथन है
"Nowhere in nature do we find an example of the production or creation of new matter nor does a particle of exixting matter passes entirely away."
प्रकृति में ऐसा कोई भी दृष्टांत नहीं मिलता जो किसी नवीन द्रव्य के रूप में उत्पन्न हुआ हो या विद्यमान द्रव्य के किसी अवयव का आत्यंतिक विनाश हो गया है।
सघनता या सूक्ष्मता
पुद्गल परमाणुओं की एक विशेषता है उनका समासीकरण और व्यायतीकरण अर्थात् संकोच-विस्तार गुण। इसी गुण के कारण कभी थोड़े से परमाणु एक विस्तृत आकाश खण्ड को घेर लेते हैं और कभी-कभी वे ही परमाणु घनीभूत होकर बहुत छोटे से आकाश देश या प्रदेश में समा जाते हैं। इसी विचित्र शक्ति के कारण असंख्यात प्रदेश वाले लोक में अनन्तानन्त पुद्गल परमाणु स्थान पा जाते हैं। एक परमाणु आकाश में जितना स्थान घेरता है वह एक आकाश प्रदेश कहलाता है, अतः यह प्रश्न उपस्थित होना स्वाभाविक है कि असंख्यात प्रदेश वाले लोक में अनंतानंत पुद्गल-परमाणु स्थान कैसे पा सकते हैं। आचार्य पूज्यपाद ने इस विषय में ऐसी ही आशंका उठाकर उसका समाधान इस प्रकार किया है