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पुद्गल की विशिष्ट पर्यायें ध्वनि के विविध उपयोग
उच्च श्रवणोत्तर ध्वनि का उपयोग कई क्षेत्रों में किया जाने लगा है। इसके द्वारा आज घड़ियाँ, बारीक कल पुर्जे बिना खोले ही साफ किये जाते हैं। धातु के बने पुों के दाँते काटने तथा जोड़ने (वेल्डिंग) के लिए भी इसका उपयोग होता है। धातु को जहाँ से जोड़ना होता है वहाँ के मैल को यह ध्वनि दूर कर देती है और केवल स्पंदन द्वारा धातु के कणों को एक-दूसरे में फँसा कर उन्हें जोड़ देती है। इस उच्च ध्वनि का अस्पतालों में विशेष उपयोग किया जाता है। हीरों के काटने के लिए भी इसका उपयोग होने लगा है।
चिकित्सा में उपयोग-उच्च श्रवणोत्तर ध्वनि से ऐसे कठिन रोगों की चिकित्सा भी सहज संभव हो गयी है जिनके लिए पहले शल्य-क्रिया में बहुत चीर-फाड़ करनी पड़ती थी। अब पथरी के रोगी को एक टेबल पर सुला दिया जाता है फिर पथरी की ओर एक यंत्र द्वारा ध्वनि फैंकी जाती है। ध्वनि माँस में हेर-फेर या हलचल किये बिना ठोस पथरी से टकराती है जिससे पथरी टूट-टूट कर चूर्ण हो जाती है। चूर्ण पेशाब में बहकर निकल जाता है और पथरी का इलाज बिना ऑपरेशन के हो जाता है। पथरी के इस लाज में रोगी को न तो किसी प्रकार का कष्ट होता है और न कोई हानि ही पहुँचती है और रोगी का बिना बेहोश किये कुछ ही मिनिटों में इलाज हो जाता है।
श्रवणोत्तर ध्वनि से मोतियाबिंद का भी इलाज बिना ऑपरेशन के होने लगा है। इस इलाज में धातु की बनी एक बारीक खोखली नली की नोंक से ध्वनि आँख में लेंस (जिसे मोतियाबिंद कहते हैं जो ठोस या अर्द्ध ठोस होता है) पर फेंकी जाती है, जिससे लेंस का ठोस पदार्थ तरल हो