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15. पुदगल की विशिष्ट पर्यायें
पुद्गल का लक्षण
द्रव्य के स्वरूप को समीचीन रूप में समझने के लिए उसके लक्षण का ज्ञान अपेक्षित है। पुद्गल द्रव्य का लक्षण जैनागम में इस प्रकार कहा है
सबंधयार उज्जोओ, पभा छायाऽऽतवेइ वा। वण्णरसगंधफासा, पुग्गलाणं तु लक्खणं।
-उत्तराध्ययन सूत्र, अध्ययन 28, गाथा 12 अर्थात् शब्द, अंधकार, उद्योत, प्रभा, छाया, आतप, वर्ण, रस, गंध और स्पर्श ये सब पुद्गल के लक्षण हैं।
लक्षण में गुण और पर्याय दोनों आ जाते हैं। उपर्युक्त पुद्गल के लक्षण में प्रथम के छह रूप-शब्द, अंधकार, उद्योत, प्रभा, छाया और आतप पुद्गल की पर्याय के हैं और अंत के चार-वर्ण, रस, गंध और स्पर्श ये पुद्गल के गुण हैं। इन चारों गुणों का वर्णन 'पुद्गल द्रव्य' अध्याय में आ चुका है। अतः अब पुद्गल की विशिष्ट पर्यायों पर ही विचार किया जा सकता है। पर्याय : द्रव्य का परिणमन
द्रव्य का परिणमन या रूपांतर ही पर्याय कहा जाता है। अतः यह स्मरणीय है कि शब्द, अंधकार, उद्योत, प्रभा, छाया और आतप में पुद्गल द्रव्य ही परिणत होता है अर्थात् ये पुद्गल द्रव्य के ही रूपांतर हैं।