________________
जीव- अजीव तत्त्व एवं द्रव्य
(1) 'संघातभेदेभ्यः उत्पद्यन्ते । '
-तत्त्वार्थ सूत्र 5.26
अर्थात् स्कंधों की उत्पत्ति कभी भेद से, कभी संघात से और कभी भेद-संघात से होती है। कुछ परमाणुओं का एक स्कंध से विच्छिन्न होकर दूसरे स्कन्ध से मिल जाना भेद कहलाता है तथा दो स्कंधों या परमाणुओं का संयोग हो जाना संघात कहा जाता है और इन दोनों प्रक्रियाओं का एक साथ हो जाना भेद - संघात है ।
(2) 'भेदादणुः ।'
अणु की उत्पत्ति केवल भेद प्रक्रिया से ही संभव है।
(3) 'स्निग्धरूक्षत्वाद्बंध: । '
224
-तत्त्वार्थ सूत्र 5.27
-तत्त्वार्थ सूत्र 5.32
पुद्गल में पाये जाने वाले स्निग्ध और रूक्ष इन दो गुणों के कारण बंध संभव है।
(4) 'न जघन्यगुणानाम् । '
-तत्त्वार्थ सूत्र 5.33
जिन परमाणुओं का स्निग्ध अथवा रूक्ष जघन्य हो अर्थात् न्यूनतम होकर एक अविभागी, प्रतिच्छेद रह गया हो उनका परस्पर बंध नहीं होता है।
(5) 'गुणसाम्ये सदृशानाम् । '
-तत्त्वार्थ सूत्र 5.34
जिन परमाणुओं या स्कंधों में स्निग्ध या रूक्ष गुण समान मात्रा में हो उनका परस्पर बंध नहीं होता।
(6) 'द्व्यधिकादिगुणानांतु ।'
-तत्त्वार्थ सूत्र 5.35
जिन परमाणुओं में स्निग्ध और रूक्ष गुणों की इकाइयों की संख्या