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पुद्गल द्रव्य
239 मत प्रस्तुत किए हैं और हमें जानकारी भी दी है, लेकिन यह जानकारी बिल्कुल अपूर्ण है। जितना हम सौ साल पहले जानते थे, आज भी उतना ही जानते हैं।"
___ आशय यह है कि जैनागमों के प्रणेताओं ने बिना भौतिक प्रयोगों के रसों के संबंध में जो ज्ञान दिया है, विज्ञान ने अपने प्रयोगों से उसे सत्य प्रमाणित कर यह सिद्ध कर दिया कि निश्चय ही इन सिद्धांतों के प्रणेता अलौकिक ज्ञानी थे। स्पर्श गुण के आठ प्रकार
पुद्गल के स्पर्श गुण का वर्णन करते हुए भगवान महावीर ने उत्तराध्ययन सूत्र में फरमाया है
फासओ परिणया जे उ, अट्ठहा ते पकित्तिया। कक्खडा मउया चेव, गरुया लहुया तहा।। सीया उण्हा य निद्धा य, तहा लुक्खा य आहिया। इय फास परिणया एए, पुग्गला समुदाहिया।।
-उत्तराध्ययन सूत्र, अध्ययन 36, गाथा 20-21 अर्थात् पुद्गलों की स्पर्श परिणति आठ प्रकार की है-(1) कर्कश (2) कोमल (3) गुरु (भारी) (4) लघु (हल्का) (5) शीत (6) उष्ण (7) स्निग्ध और (8) रूक्ष।
हल्कापन और भारीपन-पद्गल और उपर्युक्त आठ गुण साधारणत: पदार्थों में स्पष्ट देखे जाते हैं। पहले हम हल्कापन भारीपन को ही लें, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन आदि कुछ गैसें हैं जो हवा से भी हल्की होती हैं। ठोस द्रव्यों में लीथियम धातु सभी ठोस पदार्थों से अधिक हल्की होती है।