Book Title: Vigyan ke Aalok Me Jeev Ajeev Tattva Evam Dravya
Author(s): Kanhaiyalal Lodha
Publisher: Anand Shah

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Page 208
________________ कालद्रव्य 191 अंतराल (इंटरवल) ही भौतिक पदार्थ की रचना करने वाला तत्त्वांशों का संबंध सिद्ध हुआ है। जिसे देश और काल के तत्त्वों से अन्वित या विश्लिष्ट कर समझा जा सकता है । ' वैज्ञानिकों द्वारा प्रतिपादित काल विषयक उपर्युक्त उदाहरणों और जैनदर्शन में प्रतिपादित काल के स्वरूप में आश्चर्यजनक समानता तो है ही साथ ही इनमें आया हुआ दिक् विषयक वर्णन जैनदर्शन में वर्णित आकाश द्रव्य के स्वरूप को भी पुष्ट करता है। आधुनिक विज्ञान समय के कार्यकलाप के आधार पर उसे परिसिद्धांत रूप में द्रव्य स्वीकार करने लगता है। वैज्ञानिक रेडिन्टन का कथन है-Time is the more physical reality than metter. अर्थात् काल पदार्थ से अधिक वास्तविक भौतिक है। वैज्ञानिक हेन्शा का मत है - Therefor elements Space, matter, time and medium of motion are all separate in our mind. अर्थात् आकाश, पदार्थ, काल और गति का माध्यम (धर्मास्तिकाय) ये चारों स्वतन्त्र तत्त्व है। भारतीय प्रोफेसर एन. आर. सेन भी इसी मत का समर्थन करते हैं। विख्यात वैज्ञानिक ऐडिंगटन के कथन से जैनदर्शन में प्रतिपादित काल के भेदों (व्यवहार काल, निश्चय काल) की पुष्टि होती है, यथा - Whatever may be the time defuse the Astronnomer royals, time is defects. जैनदर्शन में केवल, ‘कालद्रव्य' को ही 'अकाय' माना है। काल के 'अकायत्व' के समर्थन में ऐडिंगटन का कथन है- I shall use the phrase times arrow to express this one way property of time which no analogue in space. काल द्रव्य की अन्तता के विषय से ऐडिंगटन का मत है कि - The world is closed in space dimensions but it is open at forth ends to time dimensions. 1. ज्ञानोदय, विज्ञान अंक, पृष्ठ 9

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