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कालद्रव्य
197 सीसियम अणु की घड़ी में वह घटक या समय की इकाई एक सैकेण्ड का नौ अरब उन्नीस करोड़ छब्बीस लाख इक्कीस हजार सात सौ सत्तर है। हाईड्रोजन व अन्य तत्त्वों से निर्मित ऐसी घड़ियाँ इससे भी कई गुनी अधिक सूक्ष्म समय के घटक को बतला सकेंगी, ऐसी संभावना है।
काल के अति सूक्ष्म अंतर को नापने की पद्धति निकालने का श्रेय नोबल पुरस्कार प्राप्तकर्ता जर्मन वैज्ञानिक डॉ. आर. एल. म्युइस बाउसर को है। इन्होंने प्रथम संचारी प्रकम्पन पैदा करने में सफलता पायी। इन्हीं प्रकम्पनों से उन्होंने 1 करोड़ वर्ष में एक मिनिट के परम सूक्ष्म अंतर को भी नाप लिया।
जब लोह 57 का कोर्स यूक्लियस उत्तेजित होकर प्रकम्पन करने लगता है तो उसमें से कुल मिलाकर 10 अरब लहरें (गामा किरणे) निकलती हैं। यदि प्रथम लोहखंड को हिलाने से उपर्युक्त समय में पैदा होने वाली लहरों की संख्या में एक लहर की भी कमी आ जाय तो संचारी प्रकम्पन बंद हो जायेगा।
इस प्रकार ‘म्युइस बाउसर प्रभाव' का उपयोग करके अभूतपूर्व सूक्ष्मातिसूक्ष्म मात्रा में समय का नापना संभव हो गया है। इस अत्यन्त सूक्ष्म काल मापक घड़ी को 'न्युक्लियर घड़ी' कहते हैं।'
__विशेष विस्मयकारी ज्ञातव्य तो यह है कि विज्ञान जगत् में भी समय के सूक्ष्मातिसूक्ष्म घटक को नापने वाली घड़ियों का आविष्कार अभी सन् 1960 ईस्वी में हुआ है, जबकि जैन दार्शनिक अति प्राचीन काल से ही इस तथ्य से परिचित थे।
1. नवनीत, मई 1962, पृष्ठ 70
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