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10. सकाय
एक स्थान से चलकर दूसरे स्थान पर जाने वाले जीव को त्रसकाय का जीव कहते हैं। पूर्व के पाँच प्रकरणों में एक ही स्थान पर स्थिर रहने वाले जिन पाँच प्रकार के स्थावर जीवों का वर्णन किया गया है, उन सब जीवों के एक ही इन्द्रिय, काया (स्पर्शनेन्द्रिय) होती है। रसना (मुँह), घ्राण (नाक), चक्षु (आँख) और श्रोत्र (कान) ये चारों इन्द्रियाँ नहीं होती हैं। अत: ये एकेन्द्रिय जीव कहे जाते हैं।
त्रसकाय के जीव इन्द्रिय-दृष्टि से चार प्रकार के होते हैं-1. बेइन्द्रिय, 2. तेइन्द्रिय, 3. चउरिन्द्रिय और 4. पंचेन्द्रिय। बेइन्द्रिय जीवों के काया और मुख ये दो इन्द्रियाँ होती हैं। जैसे-शंख, कोड़ी, सीप, अलसिया आदि। तेइन्द्रिय जीवों के काया, मुख और नाक ये तीनों इन्द्रियाँ होती हैं जैसे-जूं, लीख, चींटी, कनखजूरा आदि। चउरिन्द्रिय जीवों के काया, मुख, नाक और आँख ये चार इन्द्रियाँ होती हैं, जैसे-मक्खी, मच्छर, भंवरा, पतंगिया आदि। पंचेन्द्रिय जीवों के काया, मुख, नाक,
आँख व कान ये पाँच इन्द्रियाँ होती हैं, जैसे-पशु, पक्षी, मनुष्य आदि। पाँच से अधिक इन्द्रियों वाला कोई जीव नहीं होता है।
त्रसकाय के जीव चलते-फिरते-हिलते होने से हमें अपनी आँखों से दिखाई देते हैं। ये प्रत्यक्ष-प्रमाण से सिद्ध हैं अतः इन्हें विज्ञान से अन्य किसी प्रमाण से सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं है। इसलिये त्रस जीवों