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त्रसकाय
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शिकारी हेरी-हुदहुद-हेरी हुदहुद जाति का एक पक्षी है जो शिकार करते समय बरच्छे का उपयोग करता है। उसकी लम्बी और नुकीली जीभ पर काँटे से होते हैं। यह वृक्ष के खोह में किसी कीड़े को देखता है तो यह अपनी लम्बी जीभ को तेजी से फैंकता है, जीभ उस कीड़े के शरीर में गड़ जाती है, फिर वह अपनी जीभ मुँह में खींच लेता है। जीभ के साथ कीड़ा भी मुँह में आ जाता है और पेट में चला जाता है।
गैस चालक स्कंक-जिस प्रकार पुलिस उपद्रवी भीड़ को भगाने के लिए अश्रुगैस छोड़ती है, उसी प्रकार स्कंक भी संकट के समय अश्रुगैस का उपयोग करता है। इस जीव का आकार चूहे जैसा, शरीर से कुछ बड़ा, रंग काला, चेहरा चमगादड़ से मिलता-जुलता होता है। उसके शरीर में अश्रुगैस पैदा करने वाली ग्रन्थियाँ होती है। स्कंक अपने शत्रु को भगाने के लिए अपनी ग्रन्थियों से अश्रुगैस छोड़ता है, जिनका प्रभाव दस फुट दूर तक पड़ता है। इस गैस से शत्रु को कुछ समय तक कुछ भी नहीं दिखाई देता है। तब तक स्कंक भागकर शत्रु की पकड़ से बाहर चला जाता है। इसी से मिलता-जुलता प्रयोग दीमक भी करता है। जब दीमक की बस्ती में चींटियाँ घुस जाती हैं तो नगर की रानी सैनिक दीमक को रक्षा का आदेश देती है। सैनिक दीमकों के सिर पर पिचकारी की आकृति की ग्रन्थि होती है, जिससे वे शत्रु पर एक विषैला पदार्थ फेंकते हैं, जो शत्रु को आगे बढ़ने से रोक देता है।
बखतरबंद कछुआ-मनुष्य शत्रु के आक्रमण से अपने बचाव के लिए ढाल का उपयोग करता आया है। अब युद्ध के समय अपने को टैंकों
और बख्तरबंद गाड़ियों में छिपाकर भी सुरक्षा करता है। कछुआ भी इसी प्रकार अपना बचाव ढाल के आकार-प्रकार की अपनी पीठ से करता है