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वनस्पति में संवेदनशीलता
संयुक्त राज्य अमेरिका के इसी कैलिफोर्निया प्रदेश में बड़े-बड़े 'डगलस फरस' नामक वृक्ष पाये जाते हैं, जिनकी ऊँचाई 300 से 400 फुट तक होती है। किसी-किसी डगलस फर के तने का व्यास 50 फुट से अधिक है। इनमें कुछ वृक्ष 4-5 हजार वर्ष की आयु के हैं। इनकी विशलता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि यदि किसी एक वृक्ष के तने को खोखला कर दिया जाय तो उसमें 200 से अधिक बालक बैठकर आसानी से पढ़ सकते हैं। वहाँ सड़क बनाते समय मार्ग में बाधा डालने वाले डगलस फर के वृक्षों को गिराया नहीं जाता है, केवल उनके तनों को खोखला कर सड़क आर-पार निकाल दी जाती है। इंजीनियरों का कथन है कि एक डगलस वृक्ष की लकड़ी से यदि दियासलाई की तीलियाँ बनाई जाय तो वे संसार के कुल दो अरब से अधिक मनुष्यों के उपयोग के लिए एक वर्ष तक पर्याप्त होगी।'
निद्रा-कर्मग्रन्थ में तेरह जीव स्थानों में दर्शनावरणीय कर्म की चारपाँच प्रकृतियों का उदय माना है। इन तेरह जीव स्थानों में एकेन्द्रिय जीव वनस्पति आदि भी हैं व पाँच प्रकृतियों में निद्रा भी एक है। अत: वनस्पति में निद्रा लेना माना गया है और कहा भी है
_ 'छउमत्थेणं भंते! मणूस्से निदाएज्ज वा, पयलाएज्ज वा ? हंता निदाएज्ज वा, पयलाएज्ज वा। -भगवती शतक 5, उद्देशक 4, सूत्र 10
___ गौतम गणधर पूछते हैं-भगवन् ! क्या छद्मस्थ मनुष्य निद्रा या ऊँघ लेते हैं? भगवान का कथन कि केवली को छोड़कर शेष सब जीव निद्रा लेते हैं। अभिप्राय यह है कि वनस्पति निद्रा लेती है। इस विषय में
1. साप्ताहिक हिन्दुस्तान, 17 जून 1962 2. षष्ठ कर्मग्रन्थ, गाथा 35