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जीव-अजीव तत्त्व एवं द्रव्य (Utricularied) इसी जाति का पौधा है। यह उत्तरी अमरीका, आस्ट्रेलिया, दक्षिणी अफ्रीका, न्यूजीलैण्ड तथा कुछ अन्य देशों में पाया जाता है। यह हमारे यहाँ भी मिलता है। यह पानी का पौधा है और स्थिर पानी में उगता है। इसकी पत्तियाँ सुई के आकार की होती हैं और पानी पर तैरा करती हैं। पत्तियों के बीच में छोटे-छोटे हरे रंग के गुब्बारे के आकार के फूले अंग रहते हैं। पौधा इन्हीं गुब्बारों से कीड़ों को पकड़ता है। प्रत्येक गुब्बारा पानी से भरा रहता है और उसके मुँह पर एक छोटा-सा छेद रहता है। इस छेद पर एक कपाट रहता है जो केवल अंदर की ओर ही खुलता है। कपाट पर बाहर की ओर महीन बाल होते हैं। ये बाल सेचतन होते हैं और इनमें हमारी त्वचा की भाँति स्पर्श अनुभव करने की शक्ति होती है। जब कोई कीड़ा पानी में तैरतातैरता गुब्बारे के पास पहुँचता है और कपाट के बालों को छूता है तो तुरंत कपाट अंदर की ओर खुल जाता है जिससे कीड़ा गुब्बारे के भीतर गिर जाता है। कीड़े के भीतर पड़ते-पड़ते ही कपाट फिर ऊपर उठकर गुब्बारे का मुँह बंद कर देता है। इस प्रकार बेचारा कीड़ा गुब्बारे में बंद हो जाता है। गुब्बारे के भीतर दीवारों से एक रस निकलता है जो कीड़े के माँस को घुला लेता है। इस घोल को गुब्बारे के भीतर की दीवारों के रोए चूस लेते हैं।
“बटर-वार्ट पौधा भी कीड़ों को पकड़ने व खाने की कला में बड़ा प्रवीण होता है। बटरवाट फूल बहुत सुंदर होते हैं और इसके सम्पर्क में आने वाला बेचारा कीट यह कल्पना भी नहीं कर पाता कि इतने रंगबिरंगे सुंदर फूलों वाला यह पौधा प्राणघातक भी हो सकता है। इस पौधे का पत्ता पूर्ण रूप से विषैला होता है। उस पर एक चिपचिपा लेप रहता है। यह लेप स्वाद में मीठा होता है। परंतु यह मीठा रस ही कीटों के लिए
1. प्रा. जीवविज्ञान भाग 2, पृष्ठ 21