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प्रज्वलित हो जाती है। इसलिए आग बुझाने वाले दल के व्यक्तियों को आग के प्रकार का ज्ञान व किस प्रकार की आग को किस प्रकार की साधन-सामग्री से बुझाया जाय, इसका प्रशिक्षण दिया जाता है। वैसे सामान्यतः आग पानी से बुझाई जाती है, परंतु यदि बिजली से लगी आग को पानी से बुझाने का प्रयत्न किया जाय तो इससे बुझाने वालों को भारी धक्का लगता है, कारण कि पानी बिजली का सुचालक (कंडक्टर) होता है। पेट्रोलियम आदि ज्वलनशील तरल पदार्थों पर पानी डाला जाता है तो आग बुझने के बजाय ज्यादा फैल जाती है। यही कारण है कि इस प्रकार की आग पानी डाल कर नहीं, रेत आदि अन्य पदार्थ डालकर बुझाई जाती है। चूने पर पानी पड़ने से उसका भभका उठना व उससे उसके वहन करने वाले ट्रक के जल जाने की घटनाएँ तो सुनते ही रहते हैं परंतु लोहे की छड़ों के संसर्ग से बर्फ में भी आग लगती देखी गई है। वैज्ञानिकों ने आग के विभिन्न प्रकारों को बुझाने के लिए विभिन्न रासायनिक तत्त्वों की खोज की है। ज्वलनशील तरल पदार्थों की आग बुझाने के लिए 'पोटेशियम बाई कार्बोनेट' या 'पर्पिल' के पाउडर का उपयोग किया जाता है। 'मोनो अमोनियम फासफेट' भी आग आगे बढ़ने से रोकने की विशेष क्षमता रखता है।
आशय यह है कि अग्निकाय सजीव है व अनेक प्रकार की योनियों व कुल वाली है। उन योनियों की अपनी-अपनी विशेषताएँ है।