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जीव-अजीव तत्त्व एवं द्रव्य के बीच हवाएँ बहुत गरजती हुई बहती हैं अतः इन्हें 'गरजने वाला चालीसा' कहा जाता है। ध्रुवीय हवाएँ ध्रुवों में बहती हैं।
जिस प्रकार पृथ्वी व जल की प्रकृति का प्रभाव मानव व वनस्पति पर पड़ता है; उसी प्रकार पवन की प्रकृति का प्रभाव भी मानव व वनस्पति पर पड़ता है। पूर्वी हवाएँ चलने पर अनेक मनुष्यों के शरीर पर फोड़े उठने लगते हैं; कमर में दर्द होने लगता है, वनस्पतियाँ रुग्ण हो जाती हैं, उनके पत्ते, फल-फूल गिरने लगते हैं।
___ अभिप्राय यह है कि वायु सजीव है। वैक्रिय शरीर रखती है। अनेक योनियों व कुल वाली है और इसकी प्रकृति का प्रभाव मानव प्रकृति पर भी पड़ता है।
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