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वास्तविक स्वरूप की जानकारी अभी प्राप्त नहीं हो पायी है। वास्तव में जल कोई सामान्य पदार्थ नहीं है जैसी कि लोगों की धारणा है।''
आशय यह है कि विज्ञान अभी जल के गूढ़ रहस्यों को खोलने में लगा हुआ है और विश्वास किया जा सकता है कि अनुसंधानों से जैसेजैसे जल के रहस्य प्रकट होते जायेंगे, वैसे-वैसे आगमों में वर्णित जल के विषय में शेष अन्य कथन भी विज्ञान जगत् में मान्य होते जायेंगे।
1. नवनीत, जुलाई 1959