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वचन-साहित्य-परिचय (४) मूक कर कनसिनंतायितय्या।
गूगेका देखा स्वप्न-सा हुआ रे। (५) हाविन हेडे हिडिदु कॅन्न तुरिसिकांडनु ।
सांपका फन पकड़ कर कनपटी खुजला ली। (६) उरिय कॉल्लय काँडु मंडेय सिक्कि बिडिसिदंते। ..
जलती मशालसे बालोंकी उलझन सुलझानेकी भांति । (७) भित्ति इल्लदें बरेंद चित्तारव ।
बिना भित्तीके चितारा गया चित्र । (८) अंधकन कैयल्लि दर्पणविद फलवेनु ?
अंधेके हाथमें दर्पण देनेसे क्या लाभ ? (९) एल्लिल्लद गारण नडिसिद एत्तिनंतें ।
बिना तिलका कोल्हू खींचनेवाले वैलकी भांति । (१०) हसिद हॉटेंय मेले कट्टोगरद मॉकट्टिदर-हसिवु हिंगुवदे
भूखे पेट पर रोटीकी पोटली बांधनेसे भूख मिटेगी ? (११) कैल्लि ज्योति हिडिदु कत्तलु टुडुकुवदु ।
हाथमें दीपक ले कर अँधकार ढूढ़ना । (१२) मंजिन शिवालयक्त बिसिलिन कलस, उंटे ?
हिमके शिवालय पर धूपका कलश डाल सकते हैं ?
ऐसे अनेक दृष्टांत हैं । वचनामृतमें ही जो दृष्टांत पाए हैं वही सौ से अधिक हैं। उनके दृष्टांतकी भांति वर्णन भी अप्रतिम हैं। वैसे तो वचनसाहित्यमें वर्णनात्मक वचन बहुत ही कम हैं। किंतु जहां कहीं हैं मानो शब्दचित्र ही हैं । वचनकारोंने अपने शब्दोंकी लकीरों द्वारा सुनने वालोंके सामने स्पष्ट चित्र चित्रित कर दिया है। उदाहरणोंके लिए श्री बसवेश्वरने ईश्वरचितनका उपदेश देते हुए आनेवाले बुढ़ापेका मार्मिक वर्णन किया है। उन्होंने लिखा है
नरें कन्नगें, तर गल्लक, शरीर गुड होगद मुन्न, हल्लु होगि बन्नु यागि, अन्यरिगें हंगागद मुन्न, काल मेले कैयनूरि, कोलु हिडियुव मुन्ना मुप्पिनिदोप्पुवलिवद मुन्न, मृत्यु मुट्टद मुन्न पूजिसु कूडल संगमदेवन। ___ भरी हुई कनपटी और भरे हुए गाल पिचकनेसे पहले, शरीर कंकाल होनेसें. पहले, दाँत गिरने और कमर झुकनेसे पहले (मूलमें कमरके स्थान पर पीठं, है ) दूसरों पर भार होनेसे पहले, घुटनों पर हाथ टेक · कर लकड़ीके सहारे उठनेसे पहले, वुढ़ापेसे शरीरकांति मिटनेसे पहले, मृत्युका' स्पर्श होनेसे पद्रले कूडल संगम देवका नाम लो।