Book Title: Santoka Vachnamrut
Author(s): Rangnath Ramchandra Diwakar
Publisher: Sasta Sahitya Mandal

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Page 294
________________ विधि - निषेध परस्त्रीको अपनी माताकी भांति देखना चाहिए। ज्ञानियोंको कभी विश्वासघात नहीं करना चाहिए। ज्ञानियोंको श्रौरोंको दोष नहीं देना चाहिए। ज्ञानियोंको परद्रव्यापहार नहीं करना चाहिए। ज्ञानियों को गुरुसेवा, लिंगपूजा, जंगम दासोहम् नहीं छोड़ना चाहिए। ज्ञानियों को दिया हुआ वचन नहीं तोड़ना चाहिए । -ज्ञानियोंको चौरोंसे उपकृत होकर नहीं रहना चाहिए। ज्ञानियोंको किसीको वचन नहीं देना चाहिए। ज्ञानियोंको असत्य वचन नहीं बोलना चाहिए। ज्ञानियोंको राजाके सामने झूठी साक्षी नहीं देनी चाहिए। ज्ञानियोंको लोकापवादका कारण नहीं होना चाहिए। ज्ञानियोंको मताभिमान नहीं होना चाहिए। ज्ञानियोंको ज्ञान होनेके पश्चात् कपिलसिद्धमल्लिकार्जुनसे किसी वातसे नहीं गिरना चाहिए । २८१ टिप्पणी :- मूल वचन में प्रत्येक वाक्य में "ज्ञानियों को ज्ञान होनेके पश्चात् " ऐसा जोड़ा गया है । वचनमें विशिष्ट प्रकारके वाक्यांशका पुनः पुनः पुनरावृत्ति होनेके कारण उसको छोड़ दिया है । इन वचनमें वचनकारोंने विधिनिपेधकी पूरी तालिका दी है । वह केवल -ज्ञानियोंको ही नहीं किंतु ज्ञानसाधनाके साधक के लिए भी है । इन नियमों का निष्ठासे पालन करनेवाला साधक अवश्य सिद्धावस्थाको प्राप्त करेगा ।

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