Book Title: Santoka Vachnamrut
Author(s): Rangnath Ramchandra Diwakar
Publisher: Sasta Sahitya Mandal

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Page 319
________________ ___ वचन-साहित्य-परिचय महालिंग गजेश्वरा ... गणेशमसणेय 66, 362 / (50) महालिंग गुरु सिद्धेश्वर प्रभु... "तोटदसिद्धलिंग 2, 35, 46, 76, 61, 116, 136, 316, 343, 374, 416, 423, 446, 446, 458, 462, 487, 466, 467, 506 / (51) मारैयप्रिय अमकेश्वरलिंग...'प्रायदल्लिमारैय 20, 275, 316, 412 / (52) मारेश्वरा..... मारेश्वसेडेय'.....२४७ 474 / (53) रामनाथा... देवरदासिमैय 20, 25, 26, 30, 31, 176, 213, 273, 260, 320, 371, 362, 415, 425, 434, 465, 468, 507, 557 / (54) रामेश्वरलिंग..... मेरे मिंडदेव 478 / (55) रेकण्णप्रिय नागिनाया...'बहुरुपि चौडेय 71 / (56) वीरवीरेश्वरलिंग..."वीरगोल्लाढेय 441 / (57) शंभुजवकेश्वर'... 'सत्यक्क 428 / (58) शांतमल्लिकार्जुन....? 101 / (56) शिवलिंग .... गूलेरसिद्धरणार्य 33 / (60) सकश्लेवरदेव'... 'सकलेशमादरस 313, 396, 512 556 / / .. (61) सदाशिवमूर्तिलिंग'.."अरुविनमारितंदे 475, 551 / . (62) संगय':: नीललोचने 70 / (63) सिद्ध सोमनालिंग' ..."अमुगिदेव 150, 371 / . (64) सिम्मुल्लिगेय चन्नराम.....'चंदिमरस 12, 18, 36, 142, 463, 537 / (65) सोड्डल... 'सोड्डलबाचरस 68, 167, 366, 430, 435 / (66) सौराष्ट्र सोमेश्वर'... 'पायदैद 60, 174, 200; 227, 250 / निम्न वचनोंकी मुद्रिकाका अंकित अभी अनुसंधानका विषय है। ' 57, 205, 220, 246, 360, 488 /

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