________________
वचन-साहित्य परिचय
लगी। उन्होंने जंगमोंको बुलाकर वह सब धन दे डाला। यह जान करके वचनकारोंने उन्हें 'निराशा महात्मा' कहा । बसवेश्वरने उन्हें 'धनमें शुद्ध' ओर 'प्राणमें निर्भय' कहा है ।..
किंतु मारय्याने बसवेश्वरको इस विषयमें क्षमा नहीं किया। उन्होंने कहा, "यह बसवेश्वरके अहंकारका द्योतक है !" वे इतने अधिक निस्पृह थे कि उनके स्वतंत्र वचन भी नहीं मिलते । किंतु वचन-शास्त्र-सारमें जहाँ-कहीं वे संदर्भा. नुसार आये हैं वे अपूर्वताके साथ चमके हैं.।,
"इनकी साधना एवं ज्ञान-प्राप्तिके विषयमें पहले ही महादेवी अम्माके जीवन-प्रसंगमें हम कह पाए हैं ।