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तुलनात्मक अध्ययन
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होता है । उसके लिए सब सत्य-स्वरूप होते हैं। इसलिए वह कभी न थकते हुए, न निराश होते हुए, न किसी प्रकारको हार मानते हुए मांकी ममतासे समाजको उपदेश देते हैं, प्यारे ! सच बोलो, भूठ मत बोलो। प्रेमसे रहो, द्वेप मत करो । दया करो, निष्ठुर मत बनो। अायो ! तुम भी वह आनंद लूटो जो हम लूट रहे हैं । हम वह आनंद लुटाने आये हैं। भर-भर कर देते हैं, जितना ले सकते हो लो!