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इस पुस्तिका का उपोद्घात जैन पंडित श्री अम्बा लाल प्रेमचन्द शाह ने लिखी है। __इस पुस्तिका को प्रकाशित करने में दोनों पू० आ० म० श्री के उपदेश से गुडाबालोतान् श्री जैन संघ ने द्रव्य सहायता प्रदान की है। __एतदर्थ उपरोक्त दोनों पूज्य आचार्य भगवन्त, पूज्य उपाध्यायजी महाराज एवं पूज्य मुनिराज श्री जिनोत्तमविजयजी म. का वन्दना पूर्वक, द्रव्यसहायक गुडावालोतान श्री जैनसंघ का तथा प्रस्तावना के लेखक जैन पंडित अंबालाल प्रेमचन्द शाह का प्रणाम पूर्वक आभार प्रदर्शित करते हैं। मुद्रण कार्य गौतम आर्ट प्रिन्टर्स, ब्यावर के भी हम आभारी हैं। अन्त में हिन्दी सरलार्थ युक्त इस कुलक संग्रह का प्रतिदिन प्रातःकाल में या अवकाश के समय में रटण--मनन करने से आत्मभावना जागृत रहती है। ___इस पुस्तिका में हिन्दी सरलार्थ युक्त संग्रह की गई काव्य कृतियां सभी धर्मप्रेमी महानुभावों को अति उपयोगी होगा ऐसी आशा रखते हैं। .
इस पुस्तिका के मुद्रण कार्य में दृष्टिदोष, मतिदोष या मुद्रणदोष से इसमें स्खलना-भूल रह गई हो तो हम मिच्छामि दुक्कड देते हैं और ऐसी स्खलना--भूल तरफ हमारा ध्यान दोराने के लिये इस पुस्तिका के वाचकवर्ग को विनन्ति करते हैं।