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+ प्रकाशकीय निवेदन है 'श्री कुलक संग्रह सरलार्थ' इस नाम से समलंकृत यह पुस्तिका आचार्य श्रीसुशीलसूरि जैन ज्ञानमन्दिर की ओर से प्रकाशित करते हुए हमें अति आनंद हो रहा है।
परम पूज्य शासन-मूरिसम्राट् समुदाय के सुप्रसिद्ध जैनधर्मदिवाकर -तीर्थप्रभावक--राजस्थानदीपक--मरुधरदेशोद्धारकशास्त्रविशारद-पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद् विजय. सुशीलसूरीश्वरजी म. सा. का परिवार युक्त विहार
और चातुर्मास हमारे राजस्थान [मेवाड़-मारवाड़ में अठारह वर्ष तक संलग्न रहा । पूज्य गुरुदेव जहां जहां पधारे वहाँ वहां पर धर्मोपदेश और धर्मकार्य द्वारा जैनशासन की अनुपम प्रभावना हुई है। ___ आपके सदुपदेश से प्राचीन तीर्थ और जिनमन्दिरों का जिर्णोद्धार, नूतन सिद्धचक्र समवसरण पावापुरी आदि मन्दिरों का तथा जिनमूर्तिओं का निर्माण, गुरु मन्दिर ज्ञानमन्दिर जैन उपाश्रय-जैनधर्मिक पाठशाला-आयंबिल भवन एवं धर्मशाला आदि का भी निर्माण हुआ है और हो रहा है। अनेक गांवों में संघ में प्रवर्तती अशान्ति की शान्ति हुई है। आपके उपदेश से और शुभ निश्रा में अनेक तीर्थों के पैदल संघ निकले हैं। __आपकी पावन निश्रा में विविधपूजों युक्त अनेक धार्मिक महोत्सव, उपधान, उद्यापन (उजमणां), दीक्षाएं,